मध्य प्रदेश में प्रियंका-राहुल बनेंगे कांग्रेस का चेहरा

भोपाल। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा कौन होगा यह बड़ा सवाल है। मगर प्रचार में मुख्य चेहरा पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी रहने वाली हैं। पार्टी की रणनीति के मुताबिक प्रियंका जहां शहरी इलाकों की कमान संभालेंगी, वहीं राहुल गांधी को आदिवासी दलित और ग्रामीण इलाके में ज्यादा सक्रिय किया जाएगा। राज्य में पार्टी की कमान कमलनाथ के हाथ में है और राज्य इकाई उन्हें चेहरा बनाए हुए हैं। राज्य के नेता उन्हें भावी मुख्यमंत्री तक कह रहे हैं।

मगर पार्टी हाईकमान की ओर से इस बात के साफ संकेत अब तक नहीं मिले हैं कि पार्टी चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा किसी को बनाएगी भी या नहीं।ऐसा इसलिए क्योंकि राहुल गांधी से भी जब मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर सवाल किया गया तो वह भी उसे टाल गए। राज्य में इसी साल के अंत तक विधानसभा के चुनाव होने हैं और इन चुनावों के लिए कांग्रेस ने अपनी रणनीति तैयार कर ली है।

राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के अब तक राज्य के दो दौरे हो चुके हैं और इन दोनों ही दौरों में उन्होंने प्रदेश की जनता की जिंदगी में बदलाव लाने वाली गारंटी दी है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि राज्य में निचले स्तर से जो रिपोर्ट्स आ रहे हैं वह पार्टी हाईकमान को उत्साहित कर देने वाली है। यही कारण है कि पार्टी ने प्रचार को लेकर खास रणनीति बनाई है। इस रणनीति के मुताबिक जहां प्रियंका गांधी शहरी इलाकों में सभाएं, रोड शो करेंगी, वहीं राहुल गांधी आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में ज्यादा सक्रिय रहेंगे।

इसी रणनीति के मुताबिक प्रियंका गांधी के अब तक दो दौरे हुए हैं और वह भी महाकौशल के जबलपुर और ग्वालियर चंबल के ग्वालियर में। उन्होंने इन दोनों ही स्थानों पर रैली को संबोधित किया। इसी क्रम में राहुल गांधी का भी मध्य प्रदेश प्रवास तय हुआ है और वे आठ अगस्त को शहडोल जिले के ब्योहारी आ रहे हैं यह वह इलाका है जो आदिवासी बाहुल्य। राज्य में आदिवासी और दलित वर्ग को सत्ता की चाबी माना जाता रहा है।

ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य में 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं तो वहीं 35 सीटें अनुसूचित जाति के लिए। इन दोनों वर्गों के लिए आरक्षित सीटों पर जिस भी दल को सफलता मिलती है, राज्य में सरकार उसी की बनती है, लिहाजा कांग्रेस का बड़ा जोर आदिवासी और दलित वर्ग पर है। इन दोनों वर्गों की राज्य में लगभग 37 फीसदी आबादी है और यह चुनाव पर असर डालती है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य के विधानसभा चुनाव में कड़ा मुकाबला रहने वाला है। लिहाजा दोनों राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति बनाकर काम कर रहे हैं। कांग्रेस को लगता है कि वह शहरी इलाकों में प्रियंका गांधी को सामने लाकर वोटरों को लुभा सकती है। वहीं आदिवासी और दलित वोट बैंक में राहुल गांधी सेंधमारी कर सकते हैं। इसी के चलते कांग्रेस ने प्रियंका को शहरी और राहुल को ग्रामीण इलाकों में भेजने की रणनीति पर काम तेज किया है।

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