समाचार पत्र पत्रिका का प्रकाशन शुरू करने प्रकाशकों को सुगमता के नए युग की शुरुआत
प्रेस की आजादी और समाचार पत्र पत्रिका प्रकाशन में प्रेस पत्र पत्रिका पंजीयन विधेयक 2023 मील का पत्थर साबित होगा – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र की जननी और दुनियां का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत में किसी भी कानून को पारित करने की बहुत ही विस्तृत पेचीदगी व पारदर्शी प्रक्रियाएं बनी हुई है, जिसको पार करने के बाद ही कोई विधेयक पारित होकर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून बनता है। किसी भी विधेयक को कानून बनाने के लिए संसद के उच्च व निचले सदन से पारित करना कोई आसान काम नहीं होता। उस पर विस्तृत चर्चा होती है, संशोधन वह सेलेक्ट कमेटी से होते हुए संसद में पेश होता है, इसके पहले लॉ कमीशन जनता जनार्दन के समक्ष उनकी प्रतिक्रियाएं जानने के लिए भी राष्ट्रीय गजट में प्रकाशित होता है। कुल मिलाकर संसद के दोनों सदनों में कोई भी विधेयक पारित कराना बड़ी उपलब्धि है। हालांकि यह रेखांकित करने वाली बात है के संसद के पिछले कुछ सत्रों से यह परिपाटी चली आ रही है कि ध्वनि मत से ही विधेयक पारित हो रहे हैं क्योंकि एक विशेष पार्टी व उनके गठबंधन के सदस्यों की संख्या अधिक होने से विपक्ष कुछ कर सकने में लाचार है किसी भी विधेयक पर वोटिंग नहीं हुई है वह केवल दिल्ली विधेयक से संबंधित वोटिंग के अलावा अन्य विधेयकों में वोटिंग देखने को नहीं मिली है।
ठीक इसी तरह प्रेस व पत्र पत्रिका विधेयक जो राज्यसभा यानें उच्च सदन से पिछले अगस्त में ही पारित कर दिया गया था और अब लोकसभा में दिनांक 21 दिसंबर 2023 को ध्वनि मत से पारित हो गया है, अब राष्ट्रपति महोदया के हस्ताक्षर के बाद कानून बन जाएगा जिससे प्रेस की आजादी और कारोबार करने में सुगमता के नए ऐतिहासिक युग की शुरुआत होगी। चूंकि संसद के दोनों सदनों में प्रेस और पुस्तिका पंजीकरण विधेयक अधिनियम 1867 के औपचारिक युग को समाप्त कर 2023 का नया विधेयक पारित कर लिया गया है। इसलिए आज हम मीडिया और पीआईबी में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, प्रेस की आजादी और समाचार पत्र पत्रिका प्रकाशन में प्रेस पत्र पत्रिका पंजीकरण विधेयक 2023 मील का पत्थर सब आईटी होगा।
साथियों बात अगर हम प्रेस पत्र पत्रिका पंजीकरण विधेयक 2023 की करें तो, इस नए कानून में किसी भी कार्यालय में गए बिना ही ऑनलाइन प्रणाली के जरिए पत्र-पत्रिकाओं के शीर्षक आवंटन और पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल एवं समकालिक बना दिया गया है। इससे प्रेस रजिस्ट्रार जनरल को इस प्रक्रिया को काफी तेज करने में मदद मिलेगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि प्रकाशकों, विशेषकर छोटे और मध्यम प्रकाशकों को अपना प्रकाशन शुरू करने में किसी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रकाशकों को अब जिला मजिस्ट्रेटों या स्थानीय अधिकारियों के पास संबंधित घोषणा को प्रस्तुत करने और इस तरह की घोषणाओं को प्रमाणित कराने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा, प्रिंटिंग प्रेसों को भी इस तरह की कोई घोषणा प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी, इसके बजाय केवल एक सूचना ही पर्याप्त होगी। वर्तमान में इस पूरी प्रक्रिया में 8 चरण शामिल थे और इसमें काफी समय लगता था।
साथियों बात अगर हम प्रेस पत्र पत्रिका पंजीकरण विधेयक 2023 के लोकसभा में पारित होने की करें तो, प्रेस और पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक, 2023 (पीआरपी) गुरुवार को राज्यसभा में पारित हो गया। बता दें कि प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 (पीआरबी) को निरस्त करने के लिए यह विधेयक लाया गया है। विधेयक का उद्देश्य पत्र-पत्रिकाओं के शीर्षक सत्यापन और पंजीकरण की ऑनलाइन प्रक्रिया को सरल बनाना है। सदन ने विपक्ष की अनुपस्थिति में कुछ मिनट बाद ही ध्वनि मत से विधेयक पारित कर दिया। इस बीच सूचना-प्रसारण मंत्री ने कहा, पुराने और नए अधिनियम के बीच अंतर समझाने के लिए मैं चाहता था कि विपक्ष भी यहां होता क्योंकि वे एक समय देश पर शासन कर रहे थे। विधेयक में समाचार पत्रों के प्रसार और सत्यापन से संबंधित प्रावधान हैं। इसमें भारत में विदेशी पत्रिकाओं के प्रतिकृति संस्करणों के प्रकाशन के लिए केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी का भी प्रावधान किया गया है।
विधेयक के अनुसार प्रकाशक, पत्रिका के पंजीकरण प्रमाणपत्र विवरण या शीर्षक में संशोधन के लिए प्रेस रजिस्ट्रार जनरल को आवेदन कर सकता है। विधेयक में प्रेस और पंजीकरण अपीलीय बोर्ड का प्रावधान है, जिसमें भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष और इसके सदस्यों में से भारतीय प्रेस परिषद द्वारा नामित दो सदस्य शामिल होंगे।विधेयक प्रस्तुत करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री ने कहा कि विधेयक का उद्देश्य समाचार पत्रों और पत्रिकाओं की पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाना है। पंजीकरण प्रक्रिया निर्धारित 60 दिनों की अवधि में पूरी की जाएगी। उन्होंने कहा कि पंजीकरण प्रक्रिया अब आठ चरण के बजाय केवल एक चरण में पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने कहा कि समाचार पत्र और पत्रिकाओं के प्रकाशकों को जिलाधिकारी और भारत के समाचार पत्र पंजीयक आरएनआई के प्रेस रजिस्ट्रार को ऑनलाइन आवेदन देना होगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोगों को समाचार पत्र और पत्रिकाओं के प्रकाशन की अनुमति नहीं दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि पहले छोटे अपराधों के लिए जुर्माना और छह महीने की कैद का प्रावधान था, लेकिन अब ज्यादातर प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया है। नियमों का उल्लंघन करने पर सिर्फ जुर्माना लगाया जाएगा। अनुराग ठाकुर ने इस विधेयक को सरल, बेहतर और कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने वाला बताया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार प्रेस की स्वतंत्रता की समर्थक है। यह विधेयक इसे साबित करता है। उन्होंने कहा कि विधेयक बदलते मीडिया परिदृश्य के अनुरूप है। पीएम की सरकार ने पिछले सरकार के बिल्कुल विपरीत ‘प्रेस को अधिक स्वतंत्रता’ दी है।
उन्होंने कहा कि पहले की पिछली सरकार को ब्रिटिश मानसिकता विरासत में मिली थी और आपातकाल के दौरान 260 से अधिक वरिष्ठ पत्रकारों को पिछली सरकार में जेल में डाल दिया गया था। उन्होंने कहा कि मैं आज कह सकता हूं कि पिछले नौ वर्षों में भारत सरकार द्वारा ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है। इसके बजाय हमने प्रेस को अधिक स्वतंत्रता दी है। बता दें कि यदि यह विधेयक दोनों सदनों से पारित हो जाता है तो कानून- जो भारत में समाचार पत्र-पत्रिकाओं को पंजीकृत करने की प्रक्रिया को आसान बनाएगा और प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 का स्थान ले लेगा।
साथियों बात अगर हम इस टीआरपी बिल के दूरदर्शी प्रभावों की करें तो, प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक, 2023 मानसून सत्र में ही सरकार ने 2023 में प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक को राज्यसभा से पास करा लिया था। अगर यह बिल लोकसभा से पास हो जाता है तो लोगों को कई सहूलियतें मिलेंगी। इस बिल के लागू होने के बाद डिजिटल मीडिया भी रेग्युलेशन के दायरे में आएगा। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता शुरू करना है। इस बिल से समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए पंजीकरण प्रक्रिया आसान हो जाएगी। अगर आप अपना अखबार शुरू करना चाहते हैं तो आप जिला कलेक्टर के पास आवेदन कर सकते हैं। प्रेस का संचालन नहीं करने के लिए कई दंडात्मत प्रावधानों को हटा दिया है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि प्रेस पत्र पत्रिका पंजीकरण विधेयक 2023 संसद के दोनों सदनों में पारित, अब कानून बनेगा। समाचार पत्र पत्रिका का प्रकाशन शुरू करने प्रकाशकों को सुगमता के नए युग की शुरुआत। प्रेस की आजादी और समाचार पत्र पत्रिका प्रकाशन में प्रेस पत्र पत्रिका पंजीयन विधेयक 2023 मील का पत्थर साबित होगा।
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