Kali Puja

मालदा के पाकुआहाट की 200 वर्षों की आदि श्यामा काली पूजा की तैयारी शुरू

मालदा। लगभग 200 वर्षों से मालदा के पाकुआहाट की श्री श्री आदि श्यामा काली पूजा होती आ रही है। ज्ञात हो कि नंदी चौधरी नामक जमींदार ने इस पूजा की शुरुआत की थी। आदि श्यामा मां की पूजा आज भी पुराने नियमों के अनुसार की जाती है। उस इलाके में लोककथा है कि मां श्यामा मनोकामना पूरी करती हैं। पुरानी परंपरा के अनुसार काली पूजा के अगले दिन मां की बलि दी जाती है।

हालाँकि पहले विसर्जन पूजा की रात को सूर्योदय से पहले किया जाता था, लेकिन दूर-दूर से भक्त माँ के दर्शन के लिए आते हैं, इसलिए अब विसर्जन अगले दिन किया जाता है। इस पूजा से जुड़ी कई चमत्कारी कहानियां हैं। इस पूजा में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। पूरे वर्ष भर मां काली की पूजा की जाती है।

46366ef6 45ab 4ae8 B243 1cf1e8556004यहां मां काली पूजा में पाठा बलि का विधान है। पूजा के दिन, कई सौ पाठों की बलि दी जाती है। इस पूजा के आसपास के क्षेत्र में एक मेला लगता है। पाकुआहाट और उसके आसपास के कुछ गांवों के निवासी आज भी मां श्यामा काली की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं।

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