Maa Durga

बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा को दुर्गा पूजा पंडाल का विषय बनाया गया

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में पिछले साल विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा को कोलकाता में दुर्गा पूजा पंडाल का विषय बनाया गया है, जिसमें दुर्गा को मृत बच्चे की मां के तौर पर दिखाया गया है। नरकेलडांगा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता व सामुदायिक पूजा के आयोजक बिस्वजीत सरकार ने बताया कि पंडाल काले कपड़े से ढका जाएगा। इसमें अपने बच्चे को खोने वाली महिला को विलाप करते हुए, जबकि पृष्ठभूमि में बच्चे की खेलते हुए तस्वीर दिखाई जाएगी। सरकार ने कहा, ‘‘एक ओर पूरा राज्य उत्सव मनाएगा, तो दूसरी तरफ हिंसा में मारे गए लोगों के परिवार उन दिनों अपने प्रियजनों को खोने का शोक मनाएंगे।’’

पिछले साल दो मई को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद हुई हिंसा में बिस्वजीत सरकार के भाई अभिजीत की मौत हो गई थी। उन्होंने कहा, ‘‘हम उन माताओं को चित्रित करके वास्तविकता को दर्शाने की कोशिश कर रहे हैं जो फिर कभी जश्न नहीं मना पाएंगी। जिस मैदान में सरस्वती ओ कालीमाता मंदिर परिषद का यह पंडाल लगाया गया है, उसे हिंसा के दौरान हुए खूनखराबे को चित्रित करने के लिए लाल रंग से रंगा गया है।

सरकार ने कहा, ‘‘मेरा भाई उन लोगों में शामिल था जिन्होंने वर्ष 2020 में इस सामुदायिक पूजा की शुरुआत की थी। चुनाव के बाद हुई हिंसा के कारण उसे अपनी जान गंवानी पड़ी। अभिजीत के बिना समारोहों का हमारे लिए कोई मतलब नहीं है। हम सभी राजनीतिक दलों को यह संदेश देना चाहते हैं कि राज्य में खूनखराबे को खत्म करने की जरूरत है।’’

पंडाल का उद्घाटन भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदू अधिकारी ने किया। मजूमदार ने आरोप लगाया कि यह पंडाल विधानसभा चुनाव के बाद टीएमसी द्वारा की गई हिंसा और खूनखराबे के दौरान सामने आई राज्य की भयावह सच्चाई को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह सच है कि जिन परिवारों के सदस्यों ने अपने प्रियजनों को हिंसा में खो दिया है, उनके लिए उत्सव कोई मायने नहीं रखते।

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि यह विषय एक बीमार मानसिकता का प्रतिबिंब और दुर्गा पूजा का राजनीतिकरण करने का एक निर्लज्ज प्रयास है।टीएमसी के मुख्य प्रवक्ता सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि दुर्गा पूजा सभी के लिए एक शुभ अवसर है और इस तरह के भयावह विषयों का उपयोग केवल भाजपा की मानसिकता और बंगाली मानसिकता को समझने में उनकी असमर्थता को दर्शाता है।

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