सबिता शाह की कविता
जब मिलेगी एक और जिंदगी,
तुझे किस्मत में लिखाकर लायेंगे!
तुझे हाथों की लकीरों से,
हम चुराकर लायेंगे!
जो रह गयी अधूरी ख्वाहिशें,
उन एहसासों को जिंदा रख,
हर ख़्वाब पूरा कर जायेंगे!
तुझे किस्मत में लिखाकर लायेंगे!
बातें और मुलाकातों के बीच…
जो दूरियां रह गयी अभी?
तेरी दहलीज को पार कर,
हर लकीर मिटा जायेंगे!
मेरी रूह में बसकर भी,
जो धड़कनों से दूर हो।
तेरी बाहों में आकर हम,
तुझे सांसों में बसायेंगे।
दो पल की मुलाकातों से,
अब तसल्ली नहीं होती।
तेरे संग साथ जीने की,
अब वजह लेकर आयेंगे!
जब मिलेगी एक और जिंदगी,
तुझे किस्मत में लिखाकर लायेंगे!!