“पुकार” गाजीपुरी की कविता : रानी लक्ष्मी बाई

रानी लक्ष्मी बाई

आजादी खातिर हिंद की जिसने की अगवानी थी,
आजादी खातिर पैदा थी वो बाला तूफानी थी।

आजादी की चाहत जगा दी हिंद में सबके वो,
थी वीर बाला हिन्द की झाँसी की वो रानी थी।

जादूगर थी खुद फूँक दी जान वो मुर्दों में भी,
आजादी की खुद राह दिखला दी वो मरदानी थी।

उसने छुड़ाये छक्के उन सबके रहे दुश्मन जो,
अरि को सिखाने को सबक उसने मन में ठानी थी।

थर्राते थे हर पल अरि-दल उसके रण में होने से,
आजादी का जज्बा दिल में रखती वो अभिमानी थी।

वो तो लड़ी आजादी खातिर जब तक जिंदा रही,
थी वीर गति वो पाई आजादी की दीवानी थी।

आहुति दे दी सुन के “पुकार” वो वतन की स्वयं,
थे मानते लोहा अरि भी सचमुच वो बलिदानी थी।

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