।।उदासी।।
सुकून एक शाम में न मिला
दिन भर रही उदासी हमारी
चांद से चेहरे पर
नकली हंसी न निकली
रात भर देखा आसमां को
न टूटा कोई सितारा मिला
न ही चाहत पूरी हुई हमारी
लिखीं जब दिल की बात
तुमने पढ़ी न क़िताब हमारी
न वक्त तुमने गुजारा हमारे संग
न ही वक्त हमसे मांगा
मन में सजा कर सपने तुम्हारे
आंसुओ ने तकिया को सुनाए
सजाएं अलमारी में तुम्हारे लिए तोफे
न एल्बम तुम सजा पाए।
प्रतिभा जैन
टीकमगढ़ मध्यप्रदेश