।।सरस्वती वंदना।।
रीमा पांडेय
स्वर मेरा सजा दिया तूने शारदे
चरणों में बिठा लिया तूने शारदे
बिन तेरे मैं अज्ञानी, कुछ न जानती
कलम मुझे थमा दिया तूने शारदे।
आई हूँ शरण तेरी हे विद्यादायिनी
ज्ञान चक्षु खोल दो हे हंसवाहिनी
कलम कोकिल कूक उठे मन के बाग में
अज्ञान तिमिर दूर करो हे वीणावादिनी।
कोई रहे ना अज्ञानी हे माँ उबार लो
मूक वाणी को भी हे माता धार दो
बुद्धि, बल, विवेक का दुनिया में मान हो
अपने नेह का हे माँ सुंदर सार दो।