रीमा पांडेय की कविता : जय माँ गंगे

जय माँ गंगे

पावन तुम हो हे माँ गंगे
उठती रहती तरल तरंगें
निशदिन तेरा ध्यान धरू
पतित पावनी हे माँ गंगे।

शिव जटा में खुद को समेटे
भगीरथ हैं माँ तेरे चहेते
भारत भूमि को गले लगाया
चरण-धूलि हम तेरे लेते।

सुख-समृद्धि को बिखराया
धरा को तूने स्वर्ग बनाया
तेरे बिन मिले न मुक्ति
तूने हमे निज गोद बिठाया।

पाकर तेरा स्पर्श हे माता
कण-कण पावन बन जाता
दया-दृष्टि तुम हम पर रखना
तेरा आँचल हमें है भाता।

रीमा पांडेय

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

15 + fourteen =