।।आयी परीक्षा, निकला दम, खेल-कूद हो गया कम।।
सूर्यकांत प्रसाद
आयी परीक्षा, निकला दम, खेल-कूद हो गया कम,
रात दिन बने किताबी कीड़ा, नींद भी आती है कम।
अब मोबाईल नहीं, पुस्तक को साथी बनाना होगा,
परीक्षा सिर पर है, ध्यान है, न नंबर आ जाए कम।
आयी परीक्षा, निकला दम, खेल-कूद हो गया कम।
सप्ताहिक, मासिक, अर्ध-वार्षिक और फिर वार्षिक,
न जाने कितने रूप लिये यह कई बार आ जाती है।
आँख लगी कठोर शब्द गूँजे, होता है आराम हराम,
हम विद्यार्थियों की आँखों से यह नींद उड़ा जाती है।
आयी परीक्षा, निकला दम, खेल-कूद हो गया कम।
दुनिया सोती रही, पर हम उल्लू बन जागते रहे,
किताब के काले शब्दों में कुछ न कुछ ढूँढते रहे।
चाहत भी तो रही है, अगली कक्षा में जाना ही है,
माँ-बाप और गुरुजनों के सम्मान को बचना ही है।
आयी परीक्षा, निकला दम, खेल-कूद हो गया कम।
बीती परीक्षा पर बढ़ी चिंता, अब क्या आएगा परिणाम,
खेलकूद न भाए, नित चिंता में रहते सुबहों और शाम।
परीक्षा में उत्तीर्ण हुए, यह तो गुरुजनों का है अवदान,
उनके मार्गदर्शन बिन, कहाँ रहता ही आज मेरा मान।
आयी परीक्षा, निकला दम, खेल-कूद हो गया कम।
सूर्यकांत प्रसाद
कक्षा : आठवीं,
श्री जैन विद्यालय, हावड़ा