सौमेन रॉय की कविता : प्यार का रंगोत्सव होली

।।प्यार का रंगोत्सव होली।।
सौमेन रॉय

मैं तुम्हारे लिए रंग लाया हूं, अलबेला
नीला पिला हरा गुलाबी, सब लगते हैं प्यारा
प्यार की सुनहरी रंगो से रंगा है मेरा मन
आओ मिलकर प्यार बिखेरे पिचकारी के संग।

खुशी से आज दिल झूम उठा है मेरा
मन में बाजे मृदंग, ता.. ता.. थैय्या
भगवान के चरणो पर गुलाल चढ़ा कर
आते हैं हम लिए रंगो का मेला
जोगीरा सा रा रा रा…..

पहले भगवान को करते हैं अर्पण
फिर बड़ों की चरणों में रंग उठा है मेरा दर्पण
दोस्तों ने भी आवाज लगायी,
होली है भाई होली है
कुछ ना बोलो, प्यार से सुन लो धुन
हाँ प्यारी होली है।

हर गली हर महल्ले में महक रही है होली
मानो खुशी की चादर ओढ़े बिखरी हुई है रंगोली
आज ना छोड़ेंगे तुम्हे बस खेलेंगे हम होली
चाहे तुम कितनी भी धो लो,
प्यार का रंग है यह कभी ना हो पाए धुंधली।

©®सौमेन रॉय
(सर्वाधिकार सुरक्षित)

सौमेन रॉय, कवि

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