संजय जायसवाल की कविता : “उम्रकैद”

“उम्रकैद”
संजय जायसवाल

आसमान पर रात भर
टहलते चांद को देखता रहा
अलसुबह तुम सामने खड़ी थी
और मैं चकोर की तरह
चोरी करते पकड़ा गया
अब मैं कैद हूँ
तुम्हारी आंखों में

जकड़ दिया गया हूँ मैं
तुम्हारे जुल्फों की जंजीरों में

सजायाफ्ता कैदी की तरह
मैं अब रहम नहीं मांगता

मांगता हूं
उम्रकैद

संजय जायसवाल

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