पाकुआ हाट आदिवासी महिला उत्पीड़न || निष्क्रियता बरतने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई

कोलकाता। पश्चिम बंगाल पुलिस ने आखिरकार 19 जुलाई को मालदा जिले के बामनगोला पुलिस स्टेशन के अंतर्गत पाकुआ हाट में दो आदिवासी महिलाओं के उत्पीड़न और शीलभंग के मामले में निष्क्रियता बरतने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी है। मामले में लापरवाही के आरोप में चार अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है। जिन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

उनमें बमनगोला पुलिस स्टेशन के प्रभारी निरीक्षक जयदीप चक्रवर्ती, नालागोला पुलिस चौकी के प्रभारी अधिकारी मृणाल सरकार, पाकुआ हाट पुलिस चौकी के प्रभारी अधिकारी राकेश विश्वास और सहायक उप-निरीक्षक संजय सरकार शामिल हैं। गौरतलब है‍ कि दो आदिवासी महिलाओं के उत्पीड़न में शामिल लोगों के अलावा, पुलिस ने हाल ही में बामनगोला पुलिस स्टेशन के तहत नालागोला पुलिस चौकी में तोड़फोड़ में शामिल होने के आरोप में भी दो लोगों को गिरफ्तार किया है।

हालांकि, बाद में दोनों को जमानत पर रिहा कर दिया गया। मालदा जिला पुलिस अधिकारियों ने इन चार अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी है। आदिवासी महिलाओं के उत्पीड़न और शीलभंग की घटना के नौ दिन बाद कार्रवाई शुरू की गई है। शुरुआत में घटना पर एक वीडियो सामने आने के बाद, राज्य के वाणिज्य और उद्योग मंत्री डॉ. शशि पांजा ने दावा किया कि भाजपा मालदा मामले का अनावश्यक रूप से राजनीतिकरण कर रही है।

उन्‍होंने कहा था, “मालदा की घटना चोरी का मामला था, जहां दो महिलाओं ने एक स्थानीय बाजार से कुछ चुराने की कोशिश की थी। उस प्रक्रिया में महिलाओं के एक समूह ने कानून-व्यवस्था को अपने हाथ में लेने का प्रयास किया। मामला दर्ज कर लिया गया है और पुलिस मामले की जांच कर रही है।” इस पर नागरिक समाज ने सवाल उठाए कि क्या चोरी के आरोपी के साथ इस तरह से मारपीट और उत्पीड़न किया जा सकता है और वह भी सार्वजनिक स्थान पर।

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