डॉ. विक्रम चौरसिया । हमारा बिहार देखे तो अपने आप में सैकड़ों सालों का इतिहास समेटे हुए है। विश्व के पहले गणराज्य से लेकर गांधीजी के आजादी के आंदोलन का गवाह रहा है, भारत के प्रसिद्ध सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य, विक्रमादित्य, चाणक्य, कालीदास, आर्यभट्ट , बाल्मीकि, राष्ट्रकवि दिनकर, जय प्रकाश नारायण व सम्राट अशोक जैसे ही और भी महान विभूतियां इसी बिहार से रहे है। देश को पहला राष्ट्रपति देने वाला भी बिहार ही है। वही बिहार के कैमूर जिले में जहां मैंने भी जन्म लिया भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक माने जाने वाला मुंडेश्वरी मंदिर भी है। कहते भी तो हैं न की बिहार और बिहारी भारत में ही नहीं पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं।
बिहार की कई महान हस्तियाँ और उनके कार्य और विचार आज भी पुरे विश्व के लोगों के जेहन में शामिल है। इस बार फिर से हम पूरे धूमधाम से बिहार दिवस मनाने जा रहे है, जल जीवन हरियाली और नल जल योजना के थीम पर बिहार दिवस का कार्यक्रम रखा गया है। बिहार राज्य के गठन को चिह्नित करते हुए ही हर वर्ष 22 मार्च को बिहार दिवस मनाया जाता है। आज ही के दिन 22 मार्च 1912 को राज्य की स्थापना हुई थी। आज बिहार राज्य को पूरे 110 साल हो गए हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बिहार में 2.87 लाख व्यक्ति में से एक व्यक्ति IAS बनता है, वहीं देश में हर 12वाँ आईएएस अधिकारी बिहारी ही है।
देखे तो वर्षो से लचर शिक्षा व्यवस्था व राजनैतिक दलों के उदासीनता ने राज्य को बदहाल बनाने में आज कोई कसर नहीं छोड़ी है। फिर भी यहाँ के छात्र अपनी लगन और मेहनत के बलबूते यूपीएससी की परीक्षा में अपना परचम लहराते आए हैं। इस बार के टॉपर भी बिहारी ही है। एक जमाने से सिविल सेवा में बिहार का बोलबाला रहा है। सिस्टम का हिस्सा होने के बावजूद बिहार के लोग इस राज्य की किस्मत की लकीरों को नहीं बदल पाए। आप सोच रहे होंगे की IAS की भरमार फिर भी बिहार क्यों है बीमार?
इसके पीछे भी कही न कही सिस्टम के लचीलापन व भ्रष्टाचार ही है। बिहार के पिछड़ेपन की मुख्य वजह तो नेताओं व अधिकारियों की गलत कार्य शैली ने ही बिहार को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है। वहीं केंद्र सरकार की अनदेखी ने भी आग में घी का काम किया है। आज बिहार के पिछड़ेपन के कई वाजिब कारण है। फिर से बिहार को विकसित करने के लिए हमे शिक्षा, रोज़गार, कृषि, पर्यटन पर ज़ोर देनी होगी, राजनीति में बढ़ती भाई भतीजावाद, बाहुबल,धन बल व भ्रष्टाचार पर लगाम लगानी होगी।
डॉ. विक्रम चौरसिया
चिंतक/आईएएस मेंटर /सोशल एक्टिविस्ट /दिल्ली विश्वविद्यालय
इंटरनेशनल यूनिसेफ काउंसिल दिल्ली
डॉयरेक्टर, लेखक, सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे हैं व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते रहे हैं।