विपक्षी पार्टियां हक्की बक्की! 

लोकसभा चुनाव 2024 मुहाने पर आया- पक्ष विपक्ष का वोटरों को लुभाने का मौसम छाया
राम मंदिर, भारतरत्न की घोषणा और दो पार्टियों के एकला चलो से विपक्ष थर्राया- पक्ष में गर्मजोशी से उत्साह छाया- फैसला जनता जनार्दन पर आया- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां का सबसे अधिक जनसंख्या वाला और सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत पर पूरी दुनियां की नज़रें लगी हुई है, क्योंकि अगले दो-तीन महीनो में लोकसभा का सबसे बड़ा चुनावी पर्व होने जा रहा है जिसको जीतने की बिसात करीब-करीब हर पार्टी ने बिछाना शुरू कर दिया है, चाहे वह भारत न्याय यात्रा हो या फिर विकसित भारत संकल्प यात्रा। परंतु पिछले दो दिनों से तीन सबसे बड़ी घटनाएं हुई उससे राजनीति का मुख्य रुख मुड़ने की आहट सुनाई दी, वह है 22 जनवरी 2024 को प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा, दिनांक 24 जनवरी 2024 को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारतरत्न देने की घोषणा और इसी दिन विपक्ष के दो प्रमुख मुख्यमंत्रीयों ने अगले लोकसभा चुनाव 2024 में एकला चलो के बयान पर विपक्षी पार्टियों के हक्का-बक्का होने का अंदेशा जताया जा रहा है! वहीं विपक्ष में गर्मजोशी का उत्साह नजर आ रहा है और जनता के मन में आ रहा है कि, क्या पक्ष तीसरी बार 400 सीटें ला रहा है?

जिस तरह मैंने अपनी गोंदिया नगरी में प्राण प्रतिष्ठा के दिन ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए और भारत के अनेक शहरों गांवों और नगरों सहित दुनियां के बहुत देशों का टीवी चैनलों के माध्यम से जनता में भक्ति का भारी उत्साह देखा जो पूर्ण रूपेण राम की भक्ति में डूबे नजर आए, मानो सारा देश थम सा गया हो, जो केवल प्रभु श्री राम को निहार रहें हो, जबकि पूरे विपक्ष ने अलग-अलग रूप से प्राण प्रतिष्ठा में नहीं आने की घोषणा कर दी थी जो, भक्तगणों को जो वोटर भी हैं उनका अंदेशा समझा जा सकता है। दूसरी ओर जातिगत जनगणना की काट के रूप में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा और दो वजनदार मुख्यमंत्री ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा से इंडी गठबंधन में जबरदस्त झटका महसूस किया जा रहा है। चूंकि लोकसभा चुनाव 2024 दो-तीन माह में होने के मुहाने पर है। वहीं पक्ष-विपक्ष का वोटरों को लुभाने का मौसम आया है इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे राममंदिर, भारतरत्न की घोषणा और दो पार्टियों के एकला चलो से विपक्ष थर्राया! पक्ष में गर्मजोशी से उत्साह भर आया, फैसला जनता जनार्दन पर आया।

साथियों बात अगर हम लोकसभा चुनाव 2024 के वर्तमान समय में दिख रहे माहौल की करें तो महागठबंधन को आज 24 जनवरी 2024 को बड़ा झटका तब लगा जब उनके दो महत्वपूर्ण मुख्यमंत्री ने एकला चलो का राग अलापा तो प्राण प्रतिष्ठा व भारतरत्न की घोषणा के प्रतिक्रिया के रूप में सत्ता पक्ष को अपार सफलता का बोध हुआ। जिसका असर 24 जनवरी 2024 को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में भी दिखा जहां पीएम के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया गया। वहीं बहुत पहले से रणनीतिक रूप से प्रतिबद्ध 400 प्लस सीटों के लक्ष्य के अनुकूल माहौल बन जाने से पूरी पार्टी गदगद महसूस कर रही है। बता दें कि अभी पार्टी को 50 प्रतिशत प्लस वोटिंग शेयर पाने का टारगेट रखने का अंदेशा जताया जा रहा है, जो अभी तक किसी पार्टी को नहीं मिला है। 1984 में भी सबसे बड़ी पार्टी को 405 सीटें जरूर मिली थी परंतु वोटिंग प्रतिशत 48 प्रतिशत ही था अब सत्ता पक्ष 500 सीटों पर चुनाव लड़कर 400 प्लस सीटें 50 प्रतिशत से अधिक वोटिंग प्रतिशत से पानें का लक्ष्य रखने का सोच रही है।

साथियों बात अगर हम विपक्ष की करें तो, राम मंदिर के नैरेटिव को लोकसभा चुनाव में काउंटर करने का विपक्षी गठबंधन का कोई ठोस प्लान अभी तक नजर नहीं आया। 2024 लोकसभा चुनाव के लिए अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है। ऐसे में राम मंदिर कहीं ना कहीं पक्ष के हिंदुत्व के नैरेटिव को और मजबूत करेगा। सत्ता पक्ष ऐसे मुद्दे को भुनाने की कोशिश जरूर करेगी, जिसके लिए उसने लंबा संघर्ष किया हो। विपक्ष भले ही महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे उठा रहा है, लेकिन राम मंदिर और राष्ट्रवाद के आगे वह उतना प्रभाव शायद ना छोड़ पाएं। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में ना जाकर विपक्ष ने बीजेपी को उसे हिंदू और राम विरोधी ठहरा देने का भी मौका दे दिया है। विपक्ष पर तो सत्ता पक्ष पहले ही भगवान राम को काल्पनिक कहने को लेकर हमलावर रहती आई है और प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर पीएम ने कहा वो भी एक समय था जब कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी, लेकिन ऐसे लोग भारत की धार्मिक और सामाजिक भाव को नहीं समझ पाए। माना जा रहा है कि इंडी गठबंधन राम मंदिर के मुद्दे पर जनता की नब्ज पकड़ने में नाकामयाब रहा है। इस स्थिति के बाद अब पार्टी समेत बाकी विपक्षी दलों की स्थिति पक्ष के आगे फीकी पड़ सकती है। पक्ष से मुकाबला करने के लिए विपक्ष देश की जनता के आगे भी वह कोई ठोस एजेंडा पेश नहीं कर पाई है। देश में बनी हिंदू भावना को देखते हुए विपक्षी नेता सॉफ्ट हिंदुत्व का भी प्रयोग कर रहे हैं।

साथियों बात अगर हम एक राज्य में पक्ष के सियासी गुगली से विपक्ष को क्लीन बोर्ड करने करने के अंदेशा की करें तो, यह तो रही कर्पूरी ठाकुर की सादगी की मिसाल। लेकिन अब बात कर्पूरी ठाकुर को इस समय भारत रत्न दिए जाने की लोकसभा चुनाव से पहले की घोषणा के कई सियासी मायने भी हैं। केंद्र की मोदी सरकार के इस फैसले से भाजपा बिहार में मजबूत होगी। कर्पूरी ठाकुर ईबीसी समाज के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं। लालू-नीतीश हमेशा उनकी राजनीति को आगे बढ़ाने का दावा करते रहे हैं। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा कर्पूरी ठाकुर को सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिए जाने से बिहार में बीजेपी लालू-नीतीश के मजबूत वोट बैंक में सेंधमारी करने में सफल होगी। लोकसभा चुनाव में तो इसका फायदा दिखेगा ही साथ ही साथ अगले साल 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में भी पक्ष इस फैसले को भुनाने की भरसक कोशिश करेगी। हिंदी पट्टी के राज्यों में बिहार ही वो राज्य है जहां पक्ष अभी तक अकेले अपने दम पर सरकार नहीं बना सकी है। यहां पक्ष बिहार के सीएम नीतीश कुमार के साथ मिलकर सत्ता का सुख भोग चुकी है। लेकिन अब भाजपा बिहार में अपने दम पर सरकार बनाने की लंबी रणनीति पर काम कर रही है। बिहार के सवर्ण और वैश्य भाजपा को पहले से पसंद करते रहे हैं, अब कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर भाजपा ईबीसी वर्ग का साथ भी हासिल करने की कोशिश करेगी। बिहार में 36 फीसदी आबादी अतिपिछड़ी जातियों की हैं।

जातीय जनगणना 2023 के अनुसार अति पिछड़ों में नाई के साथ-साथ लोहार, कुम्हार, बढ़ई, कहार, सोनार समेत 114 जातियां आती हैं। यह जातियां आज भी बिहार में आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ी हुई हैं। लेकिन वोट बैंक के नजरिए से देखें तो सरकार बनाने और बिगाड़ने का दम रखती है। ऐसे में कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलने से बिहार में ओबीसी कैटेगरी की राजनीति पर अति पिछड़ों की राजनीति भारी पड़ सकती है। अति पिछड़ों के वोट भाजपा के खाते में जा सकते हैं। इसलिए भारतरत्न के फैसले को भाजपा का मास्टरस्ट्रोक कहा जा रहा है। कर्पूरी ठाकुर को भारतरत्न देने का ऐलान कर पक्ष ने विपक्षी दलों के इंडिया अलायंस को बेचैन कर दिया है। कोई भी विपक्षी दल इस फैसले का विरोध नहीं कर सकेगा। इस फैसले के जरिए पक्ष बिहार में ईबीसी और ओबीसी वोटर्स के बीच अपनी पकड़ मजबूत करेगी। लालू नीतीश भले ही कर्पूरी ठाकुर की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का दावा करते हो लेकिन अब कर्पूरी ठाकुर के लिए देश के सबसे बड़े सम्मान का ऐलान करके बीजेपी ने कर्पूरी ठाकुर की विरासत में हिस्सेदारी की कोशिश भी की है। हालांकि नीतीश कुमार ने इस ट्वीट से पहले एक और ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने यहीं बाते लिखी थी। लेकिन PM का धन्यवाद करना भूल गए थे।कुछ देर बाद ही जब उन्हें इस बात का अहसास हुआ तो उन्होंने पहला ट्वीट डिलीट करते हुए पीएम को बधाई देते हुए दूसरा ट्वीट किया। नीतीश के अलावा राजद नेता बिहार के डिप्टी सीएम, यूपी के पूर्व सीएम, कांग्रेस सहित कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने भी केंद्र सरकार के इस फैसले की सराहना की है।

साथियों बात अगर पक्ष की रणनीति की करें तो, 2024 में बीजेपी और युवाओं को जोड़कर वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश कर रही है। 50 प्रतिशत वोट पाने के लिए विकास से प्रभावित मतदाता बहुत जरूरी हैं। जी-20 और चंद्रयान जैसे कार्यक्रमों ने युवाओं का भरोसा बढ़ाया है। सरकार गरीब और कम आय वाले परिवारों के युवाओं के लिए नई लॉन्च की गई विश्वकर्मा योजना के तहत कौशल विकास पर ध्यान दे रही है। चुनाव से पहले भाजपा के शीर्ष नेता अलग-अलग शहरों में समाज के प्रभावशाली लोगों के साथ बंद कमरे में बैठक करेंगे। विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के जरिए सरकार युवाओं को विकसित भारत का ब्रैंड एंबेसडर बनने का न्योता दे रही है। इससे 2024 में पार्टी के लिए एक मजबूत वोट बैंक बनेगा। राम मंदिर की भव्यता को 2024 के चुनाव से पहले तक घर-घर तक पहुंचाने का भी पक्ष ने प्लान बना रखा है, जिसके लिए हर गांव से लोगों को 24 जनवरी से राम मंदिर के दर्शन कराने का अभियान भी शुरू कर रही। इससे पहले प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण पत्र और अक्षत वितरण करने वालों तथा अयोध्या की धरती से भेजे गए अक्षतों का देश भर में घर-घर जिस तरह से लोगों ने श्रद्धा भाव से स्वागत किया है, उसके साथ ही राम के आने के उपलक्ष्य को त्योहार जैसा मनाने और दीप जलाए गए हैं, उसे भविष्य के लिए बड़ा सियासी संकेत माना जा रहा है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरी विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि विपक्षी पार्टियां हक्की बक्की! क्या पक्ष की तीसरी बार 400 पार सीटें पक्की? लोकसभा चुनाव 2024 मुहाने पर आया- पक्ष विपक्ष का वोटरों को लुभाने का मौसम छाया। राम मंदिर, भारतरत्न की घोषणा और दो पार्टियों के एकला चलो से विपक्ष थर्राया! पक्ष में गर्मजोशी से उत्साह छाया- फैसला जनता जनार्दन पर आया।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

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