कोलकाता। पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ दिल्ली में भाजपा नेताओं की कथित टिप्पणी को लेकर पश्चिम बंगाल में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों पर बुधवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा है कि कोई चाहे किसी भी पार्टी में क्यों ना हो लेकिन शांति सुनिश्चित करना सबकी जिम्मेवारी होनी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ में राज्य सरकार ने हिंसा की घटनाओं को संभालने और की गई कार्रवाई के बाबत रिपोर्ट पेश की है. इसके बाद कोर्ट ने कहा कि शांति सुनिश्चित करना राज्य सरकार (State government) की जिम्मेदारी है और इसके लिए हर किसी को सहयोग करना होगा। पिछले हफ्ते अल्पसंख्यक समुदाय के हजारों लोगों ने सड़कों पर उतर कर कई जगह आगजनी, तोड़फोड, लूटपाट और हिंसा की थी।
इसके खिलाफ छह याचिकाएं हाईकोर्ट में दाखिल हुई थीं। इन सभी मामलों में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से दो दिनों के अंदर रिपोर्ट देने का आदेश सोमवार को दिया था। उसी के मुताबिक बुधवार को राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में रिपोर्ट सौंप दी है। राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि हावड़ा में पांच जगहों पर हिंसा की घटनाएं हुईं। इसे लेकर 17 प्राथमिकी दर्ज हुई है और 99 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इससे अलावा हावड़ा ग्रामीण इलाके में 9 प्राथमिकी हुई है और 38 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। वहीं उत्तर 24 परगना के बारासात में तीन जगहों पर हिंसा हुई थी जिसमें चार प्राथमिकी हुई है और पांच लोग गिरफ्तार हो चुके हैं।
मुर्शिदाबाद में भी तीन जगहों पर हिंसक प्रदर्शनों के मामले में पांच प्राथमिकी दर्ज कर 18 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। मुर्शिदाबाद के जंगीपुर इलाके में एक जगह हुई हिंसा और तोड़फोड़ के मामले में तीन प्राथमिकी दर्ज कर 30 लोगों को पकड़ा गया है। नदिया जिले के कृष्णानगर में तीन जगहों पर हुए हिंसक प्रदर्शनों के मामले में तीन प्राथमिकी दर्ज कर 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। खड़गपुर में एक जगह प्रदर्शन हुए थे , जिसमें एक प्राथमिकी दर्ज की गई है और तीन लोग गिरफ्तार किए गए हैं। उत्तर 24 परगना के डायमंड हार्बर में एक प्राथमिकी दर्ज हुई है और 17 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। सियालदह में एक प्रदर्शन को लेकर एक प्राथमिकी हुई है और एक व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई है। विधाननगर में भी प्राथमिकी दर्ज की गई है लेकिन किसी को भी पकड़ा नहीं गया है।
राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तमाम प्रदर्शन वाली जगहों की सीसीटीवी फुटेज एकत्रित की गई है और हंगामा करने वालों की शिनाख्त की प्रक्रिया जारी है। पिछले 48 घंटों से कहीं किसी तरह का कोई विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ है। हालांकि याचिकाकर्ता ने कहा कि प्रदर्शन के नाम पर आम लोगों को मारा-पीटा गया, सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया है. राज्य प्रशासन कड़ी कार्रवाई के बजाय खामोश तमाशा देख रहा था। तोड़फोड़ और आगजनी की पूरी योजना पहले से बनाई गई थी इसीलिए इसमें ठोस कार्रवाई के लिए कोर्ट को हस्तक्षेप करना चाहिए।
इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि राज्य में शांति सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। याचिकाकर्ता हो या कोई और, कोई किसी भी पार्टी में हो, कोई भी विचारधारा हो लेकिन शांति सुनिश्चित करने में मदद करें। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता सौमेंद्र नाथ मुखर्जी ने कहा कि दूसरे राज्यों में बुलडोजर चल रहे हैं लेकिन हम लोग यहां ऐसा नहीं चाहते। हम लोग चाहते हैं कि जो भी कार्रवाई हो कानून के मुताबिक हो और उसी के मुताबिक होगी।