जलपाईगुड़ी। एक तरफ बारिश नहीं हो रही है तो दूसरी तरफ तापमान बढ़ रहा है। इस बीच, लूपर्स और रेड स्पाइडर जैसे कीड़ों की कई प्रजातियों का उत्पात किसानों का सिर दर्द बन गई हैं। इस तीन तरफा हमले में छोटे चाय किसानों से लेकर बड़े बागान मालिक तक परेशान हैं। हालांकि इस सीजन में फर्स्ट फ्लैश में कुछ पत्तियां उपलब्ध हैं, लेकिन चाय किसानों के लिए बड़ा सवाल यह है कि क्या इस महीने दूसरी फ्लैश में हरी पत्तियां ठीक से उपलब्ध होंगी या नहीं। जलपाईगुड़ी जिला लघु चाय उत्पादक संघ के सचिव विजय गोपाल चक्रवर्ती और डुआर्स शाखा भारतीय चाय संघ के सचिव संजय बागची ने कहा, हालांकि, उत्तर बंगाल के सभी जिलों में यही स्थिति है। ये छोटे चाय किसान पिछले कुछ वर्षों से देश में उत्पादित कुल चाय के आधे से अधिक का उत्पादन कर रहे हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर बंगाल में उत्पादित कुल चाय का 65 फीसदी छोटे चाय किसानों द्वारा उत्पादित किया जाता है। दूसरी ओर, देश के कुल चाय उत्पादन का 52 प्रतिशत छोटे चाय किसानों द्वारा उत्पादित किया जाता है। मालूम हो कि चाय की खेती के लिए 28-32 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है। लेकिन उत्तर बंगाल में इस समय तापमान में 36 से 39 डिग्री सेल्सियस के बीच उतार-चढ़ाव हो रहा है। बारिश नहीं हो रही है, इसलिए सिंचाई के माध्यम से बगीचे की देखभाल की जा रही है। तापमान में वृद्धि और बारिश की कमी के कारण हर बगीचे में हरी मक्खी, लाल मकड़ी, लूपर सहित कई कीड़ों ने हमला करना शुरू कर दिया है।
चाय किसानों का कहना है कि एक तरफ प्रकृति की मार है, तो दूसरी तरफ कीड़ों का प्रकोप है। छोटे चाय उत्पादकों और बड़े बागान मालिकों के अधिकारियों ने कहा कि अगर तत्काल बारिश नहीं होती है, तो चाय के पौधों को जीवित रखना एक बड़ी चुनौती बन जायेगी। गुरुवार को जलपाईगुड़ी जिला लघु चाय उत्पादक संघ के सचिव विजयगोपाल चक्रवर्ती ने कहा, मौजूदा स्थिति में चाय के पेड़ों की रक्षा करना हमारा मुख्य कार्य बन गया है। उन्होंने कहा कि तेज धूप से एक तरफ चायपत्ती झुलस रही है तो दूसरी तरफ कीड़ों का आक्रमण हो रहा है।
कुल मिलाकर उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। डुआर्स ब्रांच इंडियन टी एसोसिएशन के सचिव संजय बागची ने कहा कि दार्जिलिंग की पहाड़ियों से लेकर शंकोश नदी तक हर जगह स्थिति समान है। इसलिए फर्स्ट फ्लैश बुरी तरह पिट गया है। दूसरी फ्लैश अभी भी दिखाई नहीं दे रही है। व्यापक तापमान भिन्नता के कारण स्वाभाविक रूप से कठिन स्थिति है। उन्होंने यह भी आशंका जताई कि अगर जल्द बारिश नहीं हुई तो छोटो चाय किसानों को बड़ी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।