जनकवि बाबा नागार्जुन की कविताऍं सत्ता को सीधी चुनौती देती हैं- डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र
कोलकाता। जनकवि बाबा नागार्जुन की जयंती पर, राष्ट्रीय कवि संगम की दक्षिण हावड़ा इकाई ने, संस्था के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. गिरधर राय की अध्यक्षता में, एक अभूतपूर्व आभासीय काव्य गोष्ठी का सफल आयोजन किया। कार्यक्रम का संयोजन जिला अध्यक्ष हिमाद्री मिश्र ने एवं संचालन किया जिला मीडिया प्रभारी नीलम झा ने। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सुविख्यात अंतरराष्ट्रीय गीतकार बुद्धिनाथ मिश्र एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. सत्यप्रकाश तिवारी ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा और भी बढ़ा दी।अन्य गणमान्य अतिथियों में प्रांतीय उपाध्यक्ष श्यामा सिंह, प्रांतीय महामंत्री राम पुकार सिंह एवं प्रांतीय मंत्री बलवंत सिंह गौतम उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ हिमाद्री मिश्र की सुमधुर सरस्वती वन्दना एवं नीलम मिश्रा के स्वागत भाषण के साथ। तत्पश्चात, पटल पर उपस्थित विभिन्न साहित्य प्रेमियों ने, बाबा नागार्जुन की हिंदी एवं मैथिली भाषा में लिखी रचनाओं का पाठ कर, इस अवसर को और भी कलात्मक एवं यादगार बना दिया। बाबा की रचनाओं को जिन्होंने अपना कंठ दिया उनके नाम हैं– हिमाद्री मिश्र, कंचन कंठ, संध्या पाठक, रंजना झा, मेनका ठाकुर, भारती मिश्र, सुनीता झा, नीलम मिश्रा, प्रियंका मिश्रा, देवेश मिश्र, नीता अनामिका, स्वागता बसु, नीलम झा एवं सुषमा राय पटेल।
इस अवसर पर आलोक चौधरी एवं राम पुकार सिंह ने बाबा नागार्जुन पर लिखी अपनी स्वरचित रचनाएँ प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। प्रांतीय मंत्री बलवंत सिंह गौतम एवं प्रांतीय उपाध्यक्ष श्यामा सिंह ने अपने वक्तव्यों में कार्यक्रम की रूप रेखा एवं सभी के प्रस्तुतीकरण की बेहद सराहना की। कार्यक्रम उस समय अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया जब मुख्य अतिथि डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र ने अपनी चिर प्रसिद्ध रचना ‘एक बार और जाल फेंक रे मछेरे’ सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
डॉ. मिश्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि जन कवि बाबा नागार्जुन की कविताऍं सत्ता को सीधी चुनौती देती हैं। अंत में कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. गिरिधर राय ने नागार्जुन की मार्मिक रचना – अकाल और उसके बाद पढ़ी और सभी का दिल जीत लिया।श्रोताओं के रूप में रामाकांत सिन्हा एवं ओजस्विता सिंह सहित अनेक सुधिजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन हुआ भारती मिश्र के धन्यवाद ज्ञान के साथ।