मालदा। जमाई षष्टी की पूर्व संध्या पर मालदा के विभिन्न बाजारों में बांस व बेंत से बने हाथ के पंखे खूब बिक रहे हैं। षष्ठी पूजा में ये पंखा चढ़ाने की प्रथा है। उसके बाद गृहणियां उस हाथ पंखे से जमाई सहित घर के सभी सदस्यों को शीतल हवा देती है और उनके जीवन में शीतलता प्रदान करने की देवी मां से प्रार्थना करती हैं। नतीजतन, जमाई षष्ठी की पूर्व संध्या पर, पंखे की मांग बढ़ती है और विभिन्न बाजारों में व्यापक रूप से बेचा जा रहा है।
कहीं 25 रुपए तो कहीं 30 रुपए प्रति पीस बिक रहा है। पंखा विक्रेता मिठुन दास ने कहा कि हाथ पंखा खरीदने के लिए अलग-अलग इलाकों से खरीदार आते हैं। बांस की बेंत से बने इस पंखों के लिए हम अलग-अलग गांवों के कारीगरों को पहले ही एडवांस कर चुके हैं। फिर पंखे को बाजार में लाया गया और अब बेचा जा रहा है। इस वर्ष विभिन्न क्षेत्रों के विक्रेताओं ने बताया है कि उन्होंने बांस से बने पंखे बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया है।
जमाईषष्ठी पर सिलीगुड़ी के बाजारों में पहुंचा दामाद का पसंदीदा हिल्सा मछली
सिलीगुड़ी। जमाईषष्ठी को लेकर सिलीगुड़ी के बाजारों में दामाद का पसंदीदा हिल्सा मछली पहुंच चुकी है। लेकिन कीमत आसमान को छू रहा है। मी़डियम साइज की हिल्सा मछली 1300 रुपये किलो से शुरू हुई है। साइज के हिसाब से हिल्सा की कीमत 2 हजार रुपये किलो तक पहुंची हुई है। जाहिर है ससुरों के जेबें काफी ढीली होने वाली है।
जमाईषष्ठी के पर्व में दामाद के आदर सत्कार में ससुरालवाले कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते हैं तो खरीदारी भी जमकर करनी होगी। मछली बिक्रेताओं का कहना है कि बाजार में पर्याप्त संख्या मेें हिल्सा मछली आ चुकी है। हालांकि पर्याप्त खरीदार नहीं हैं। विक्रेताओं को उम्मीद है कि चुकी जमाईषष्ठी गुरुवार को है इसलिए उसी दिन मछलियों की बिक्री में तेजी आयेगी।