पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर कवियों ने दिया प्रकृति को बचाने का संदेश

बस्ती । शनिवार को बस्ती समीक्षा संस्था की ओर से प्रेस क्लब सभागार में विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षाविद् अनिल कुमार उपाध्याय ने कहा कि साहित्य का प्रकृति से युगों का सम्बन्ध है। प्रकृति के आंचल में ही कविता, शायरी सहज रूप में जन्म लेती है। नदी, पहाड़, झरने, हरे भरे मैंदान कवियों को आकर्षित करने के साथ ही प्रेरणा देते हैं। प्राण वायु सुरक्षित रहे, हमारी सांसे चलती रहें इसके लिये पर्यावरण केन्द्रित रचनाएं युगीन आवश्यकता का आग्रह करती हैं।

पूर्व प्रधानाचार्य अनिरूद्ध त्रिपाठी ने अनिल कुमार उपाध्याय के जीवनवृत्त, शिक्षा के क्षेत्र में योगदान पर प्रकाश डाला। कहा कि सर्वोदय इण्टर कालेज खुदौली जौनपुर की स्थापना कर वे गुरूकुल स्वरूप में देश का भविष्य गढ रहे हैं। इस अवसर पर संस्था की ओर से अनिल कुमार उपाध्याय को शिक्षा के क्षेत्र में सम्मानित किया गया। विशिष्ट अतिथि डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि प्रकृति का रचनाओं से गहरा सम्बन्ध है।

कार्यक्रम के दूसरे चरण में वरिष्ठ कवि डॉ. ज्ञानेन्द्र द्विवेदी दीपक की अध्यक्षता एवं डॉ. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ के संचालन में आयोजित कवि सम्मेलन में सत्येन्द्रनाथ मतवाला, विनोद उपाध्याय ‘हर्षित’ सागर गोरखपुरी, डॉ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’, अनुरोध श्रीवास्तव, हरिकेश प्रजापति, सुधीर श्रीवास्तव (गोण्डा), डॉ. अफजल हुसैन, सुमन सागर, बाबूराम वर्मा, जगदम्बा प्रसाद भावुक, पंकज सोनी, शाद अहमद शाद, रहमान अली रहमान आदि ने प्रकृति पर केन्द्रित रचनाओं को सुनाकर धरती को हराभरा रखने का संदेश दिया।

डॉ. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ की रचना ‘देखिये दौलत के पीछे मर रहे हैं, अब नहीं भगवान को भी डर रहे हैं, आ गया कैसा जमाना दोस्तों, बाप से बेटे बगावत कर रहे हैं’ को सराहना मिली। कार्यक्रम में बाल्मीक इण्टर कालेज विक्रमजोत के प्रधानाचार्य घनश्याम लाल श्रीवास्तव ने अतिथियों, कवियों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में सुदामा राय, बी.के. मिश्र, राजेश पाण्डेय, लवकुश सिंह, राजेन्द्र प्रसाद उपाध्याय के साथ ही अनेक साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।

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