नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी की 125वीं जयंती – पर 26 कवियों का विराट काव्योत्सव

दर्द देश का देख रहा हूँ वही तुम्हें दिखलाऊँगा — डॉ. गिरिधर राय

कोलकाता। भारत की स्वतन्त्रता के महानायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी की 125वीं जयंती के शुभ अवसर राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय जगदीश मित्तल की अध्यक्षता और प्रखंड संयोजक प्रान्तीय अध्यक्ष डॉ. गिरिधर राय के संयोजन में पश्चिम बंगाल इकाई के 26 वरिष्ठ एवं नवांकुर (13 कवियों एवं 13 कवयित्रियों) के काव्यपाठ के साथ, एक अभूतपूर्व ऑनलाइन काव्योत्सव का सफल आयोजन किया गया, जिसका अत्यंत ही कुशल संचालन किया – वरिष्ठ कवयित्री श्यामा सिंह एवं स्वागता बासु ने। इस अवसर पर विशेष रूप से संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूजी जगदीश मित्तल जी, राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. अशोक बत्रा, राष्ट्रीय सह महा मंत्री महेश कुमार शर्मा, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी मल्लिका रुद्रा और कोलकाता के प्रतिष्ठित समाज सेवी अरुण मल्लावत सहित अनेक गणमान्य उपस्थित होकर कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए।

इस कार्यक्रम के गूगल मीट एवं फेसबुक पटल पर ऑनलाइन प्रसारण के तकनीकी दायित्य का निर्वाह किया देवेश मिश्रा ने। कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रान्तीय महामंत्री राम पुकार सिंह के स्वागत भाषण और हिमाद्रि मिश्रा के मधुर सरस्वती वन्दना की प्रस्तुति के साथ हुआ। तत्पश्चात, मुख्य अतिथि राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. अशोक बत्रा ने – नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के व्यक्तित्व पर वक्तव्य देते हुए कहा कि – “जिन नेताजी के व्यक्तित्व से हम सभी अभिभूत हैं, वही नेताजी स्वयं अभिभूत थे – भारत के युगपुरुष स्वामी विवेकानंद जी के व्यक्तित्व से”। साथ ही उन्होनें अपनी कविता के माध्यम से देश की शासन प्रणाली पर व्यंग्य किया कि – ‘जो कभी गंणतंत्र था, अब गनतंत्र (Gun-तंत्र) हो गया है’।

विशिष्ठ अतिथि राष्ट्रीय सह महामंत्री महेश कुमार शर्मा ने बंगाल के कवियों का हौसला बढ़ाते हुए कहा – “मैं उस धरती के रचनाकारों को नमन करता हूँ, जिनकी लेखनी – नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, कविगुरु रविन्द्रनाथ ठाकुर एवं स्वामी विवेकानंद जैसी विभूतियों के गुणगान को शब्दों में ढ़ाल कर सौभाग्यशाली एवं धनवान हो गयी”। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूजी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में नेताजी के कुछ रोचक जीवन प्रसंगों पर आलोक डालते हुए यह समझाया कि – ‘देश पहले, बाकी सब बाद में – यह सोच थी नेताजी की’।

इस अवसर पर 26 बेजोड़ रचनाकारों डॉ. गिरिधर राय, नंद लाल रोशन, “पुकार” गाजीपुरी, बलवंत सिंह गौतम, रामाकान्त सिन्हा, स्वागता बासु, उमेश चंद्र तिवारी, कामायनी संजय, चन्द्रिका प्रसाद पाण्डेय अनुरागी, रीमा पांडेय, शिव शंकर सिंह सुमित, सुषमा राय पटेल, डॉ. राजकुमार चतुर्वेदी, कंचन राय, मोहन चतुर्वेदी, सुदामी यादव, संजीव कुमार दूबे, पुष्पा मिश्रा, अर्चना तिवारी, देवेश मिश्रा, आलोक चौधरी, जूही मिश्रा, सौमी मजुमदार और निखिता पाण्डेय ने अपनी-अपनी रचनाओं से सभी का मन मोह लिया।

इन रचनाओं में – “पुकार” गाजीपुरी की – ‘सामने ग़र हो चुनौती, जूझ जाना चाहिए’, प्रांतीय मंत्री बलवंत सिंह की – ‘फिर से धरती पर आना होगा’, स्वागता बासु की – ‘तम की बदली’, श्यामा सिंह की – ‘तुमसा नेता कैसे टिकता’, नंदलाल रौशन की – ‘अब न रहें कागज़ की कश्ती बनाने वाले’, आलोक चौधरी की – ‘घाट-घाट पर राम नाम का दीप जलाता हूँ’, देवेश मिश्रा की – ‘इस बंगाल की माटी का जब-जब गीत लिखा मैंने’ एवं डॉ. गिरधर राय की – ‘मेरा क्या मैं तो ऐसे ही गीत सुनाऊँगा’ – बेहद सराही गयी। अंत में प्रांतीय मंत्री बलवंत सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन कर इस अभूतपूर्व कार्यक्रम का समापन किया।

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