लंदन। एक नए अध्ययन के मुताबिक, गर्भावस्था के दौरान मां का मोटापा, मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। द जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, अतिरिक्त वजन प्लेसेंटा की संरचना को बदल देता है। प्लेसेंटा एक महत्वपूर्ण अंग है जो मां के गर्भ में बच्चे को पोषण देता है। मोटापा और गर्भ के दौरान मधुमेह — खराब ग्लूकोज — गर्भावस्था के दौरान, दुनिया भर में बढ़ रही है। जबकि दोनों कई मातृ और भ्रूण जटिलताओं से जुड़े हुए हैं, जैसे कि भ्रूण की मृत्यु, बच्चे का मरा हुआ पैदा होना, पैदा होने के बाद शिशु की मौत — यह अभी तक ज्ञात नहीं था कि ये जटिलताएं कैसे पैदा होती हैं।
अध्ययन से अब पता चला कि मां के मोटापे से प्लेसेंटा के गठन, इसकी रक्त वाहिका घनत्व और सरफेस एरिया, और मां और बच्चे के बीच पोषक तत्वों का आदान-प्रदान करने की क्षमता कम हो जाती है। मोटापा और गर्भकालीन मधुमेह दोनों ही अपरा हार्मोन के उत्पादन और सूजन चिन्हकों को प्रभावित करते हैं, जिससे यह पता चलता है कि अपरा वास्तव में असामान्य रूप से कार्य कर रही है। नए खुलासे से गर्भावस्था के खराब परिणाम और नवजात के स्वास्थ्य के जोखिम के अंतर्निहित तंत्र के बारे में समझ मिलती है।
चूंकि मोटापा और गर्भकालीन मधुमेह अक्सर एक साथ होते हैं, ये अध्ययन गर्भाधान के समय मधुमेह की जगह मां के मोटापे के महत्व पर प्रकाश डालता है। यह दिखाता है कि कैसे ये प्लेसेंटा परिवर्तन जटिलताओं की व्याख्या कर सकते हैं, केप टाउन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मुशी मात्जि़ला ने कहा।
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा कि प्लेसेंटा में विशिष्ट परिवर्तनों की पहचान भविष्य में प्लेसेंटा-लक्षित उपचार या स्क्रीनिंग परीक्षणों के संभावित विकास का कारण बन सकती है। अध्ययन में 71 महिलाएं शामिल हुई, जिनमें से 52 मोटापे से ग्रस्त थीं और 38 ने गर्भकालीन मधुमेह विकसित किया था।