Kolkata Hindi News, कोलकाता। हर कोई अपने के भाग्य के साथ जन्म लेता है। लेकिन कुछ भाग्यशाली कहलाते हैं तो कुछ अभागे। दन्त कथाओं में हमने कई कथाएं सुन रखी हैं जिनमें किसी के जन्म होते ही कुछ अघटन घट जाता है जिसके बाद वो पूरी ज़िन्दगी अभागे के साये में गुजारता है।
दुनिया की इसी विडम्बना को उजागर करने की कोशिश की गई है बांग्ला फिल्म “ओ अभागी” फिल्म 29 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी है। फिल्म को दर्शकों के भरपूर प्यार और सराहना मिल रही है।
बिजोली सिनेमा में फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई, जहाँ फिल्म के कलाकारों के साथ ही टेक्निशयन भी फिल्म देखने पहुंचे। बांग्ला फिल्म के सुपरस्टार प्रसेनजित भी स्क्रीनिंग में पहुंचे। फिल्मों में चरित्र अभिनेत्री व निर्देशक मानसी सिन्हा भी फिल्म की स्क्रीनिंग में पहुंची।
क्या है फिल्म की कहानी:
फिल्म की नायिका के जन्म के साथ ही उसकी माँ की मृत्यु हो जाती है जिसके बाद से ही उसे अभागी कहाँ जाने लगता है। जैसे – जैसे वो बड़ी होती है देखा जाता है कि किसी न किसी प्रकार से उसका किया गया हर काम बेकार ही होते चला जाता है।
वो हमेशा से ही यह देखती थी कि उसका दूल्हा यमराज है जो उसे सोने के रथ में व्याह कर ले जाएगा और वो उसके साथ स्वर्ग में रहेगी। लेकिन जब वो बड़ी होती है तो उसकी शादी एक घुमक्कड़ गवइया से करा दिया जाता है, लेकिन वो यहाँ भी नाकाम होती है और उसका पति बेटे के जन्म के बाद से उसे छोड़कर चला जाता है।
आखरी क्षण में जब उसकी मृत्यु होती है तो उसकी ईच्छा थी कि उसका दाह संस्कार लकड़ी के चिता पर हो लेकिन गावं जंगल की सभी लकड़ियां , पेड़ जमींदार के नाम था और वो अभागी जैसे अछूत को लकड़ी देने से मना कर देता है।
यहां देखें ट्रेलर
आख़िरकार अभागी को दफना दिया जाता है लेकिन उसके अभागेपन से जमनिदर नहीं बच पाटा है और उसके मृत्यु के बाद ही जांगले में आग लग जाती है और उस दानवाल में सब जलकर राख हो जाता है।
फिल्म के निर्देशक अनिर्बान चक्रवर्ती ने कहा कि शरतचंद्र की कहानियां हमेशा से ही मुझे आकर्षित करती थी, यही कारण है कि मैं उनकी कहानी पर आधारित फिल्म को बनाकर बहुत उत्साहित हूँ। निर्माता प्रबीर भौमिक ने कहा कि फिल्म की सफलता से गदगद हूँ। मैं पूरी टीम का धन्यवाद करता हूँ और दर्शक एवं अतिथियों का आभार व्यक्त करता हूँ।
शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की लिखी छोटी कहानी “ओभागीर स्वर्गो” पर आधारित इस फिल्म का निर्माण स्वभूमि एंटरटेनमेंट के बैनर तले प्रबीर भौमिक ने किया है। फिल्म का निर्देशन अनिर्बान चक्रवर्ती ने किया है।
मुख्य भूमिका में रफियात रशीद मिथिला के साथ ही सहायक भूमिकाओं में सुब्रता दत्ता, सायोन घोष, देबजानी चटर्जी, ईशान मजूमदार, जिनी पांडे, कृष्णा बनर्जी ने अच्छा अभिनय किया है।
वहीं मलय मंडल के छायांकन में फिल्म बहुत ही खूबसूरत दिखती है तो चुस्त संपादन से सुजॉय दत्ता रॉय ने फिल्म को बांधे रखा है।
मौसमी चटर्जी के संगीत में कर्णप्रिय गानों को अपनी आवाज़ से लग्नजिता चक्रवर्ती, रूपंकर बागची, चन्द्राणी बनर्जी ने सजाया है फलस्वरूप फिल्म बहुत ही मनोरम लगती है।
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