कोलकाता। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकारियों ने पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जिसके बारे में माना जाता है कि वह जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) आतंकी संगठन के लिए लोगों को भर्ती करने वाले आतंकी के रूप में काम कर रहा था। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। बांग्लादेश निवासी अब्दुल मन्नान के रूप में पहचाने जाने वाले व्यक्ति को कोलकाता से लगभग 30 किलोमीटर दूर सुभाषग्राम इलाके से गिरफ्तार किया गया था। उसे कोलकाता लाया जा रहा है और उसे एक अदालत में पेश किया जाएगा।
केंद्रीय एजेंसी के सूत्रों के अनुसार, मन्नान उस संगठन का सक्रिय सदस्य था जो पश्चिम बंगाल में लोगों की भर्ती और स्लीपर-सेल को फिर से सक्रिय करने के लिए जिम्मेदार था। सूत्रों ने कहा, वह व्यक्ति पुराने जेएमबी सदस्यों और नए जेएमबी सदस्यों के साथ समन्वय के लिए भी जिम्मेदार था। गिरफ्तार किए गए शख्स के पास से एनआईए जांचकतार्ओं ने कई फर्जी वोटर आईडी और आधार कार्ड बरामद किए हैं।
जासूसों को यह भी संदेह है कि उसने कई अन्य लोगों के लिए नकली पहचान पत्र बनाए। सूत्रों के अनुसार, मन्नान की गिरफ्तारी महत्वपूर्ण है क्योंकि वह राज्य में एक लिंकमैन के रूप में काम कर रहा है और जांचकतार्ओं का मानना है कि वह सूचनाओं का भंडार हो सकता है। एजेंसी के शीर्ष स्तर के सूत्रों ने संकेत दिया कि मन्नान सीधे उन तीन आतंकवादियों के संबंध में था जिन्हें जुलाई में कोलकाता स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने गिरफ्तार किया था।
तीनों की पहचान नजीउर रहमान पॉवेल उर्फ जयराम व्यपारी उर्फ जोसेफ (30), रविउल इस्लाम (22) और शेख शब्बीर उर्फ माइकल खान (30) के रूप में हुई है। इन्हें दक्षिण कोलकाता के हरिदेवपुर इलाके से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने कहा कि आरोपी करीब एक महीने पहले अवैध रूप से सीमा पार कर यहां आया था।
जांचकतार्ओं के मुताबिक, कोविड-19 लॉकडाउन और उसके बाद की बेरोजगारी इन आतंकी समूहों के काम को आसान बना रही है। बांग्लादेश से लगी खुली सीमा और बेरोजगारी का फायदा उठाकर जेएमबी, अंसारुल्लाह गुट और यहां तक कि इस्लामिक स्टेट जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी समूह राज्य में अपना नेटवर्क फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। इसका उद्देश्य पूरे पूर्वी भारत में पश्चिम बंगाल को आतंकी गतिविधियों का मुख्यालय बनाना है।
कभी सीधी बातचीत के जरिए तो कभी ऑनलाइन के जरिए वे राज्य में स्मार्ट लेकिन बेरोजगार युवक-युवतियों को निशाना बना रहे हैं। कोलकाता पुलिस की एनआईए और एसटीएफ ने जेएमबी के तीन आतंकियों से यह जानकारी हासिल की है। राज्य के गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, मेधावी लेकिन बेरोजगार युवाओं का ब्रेनवॉश करना एक ऐसी समस्या है जिससे कोई पुलिस या आतंकवाद विरोधी एजेंसी नहीं निपट सकती है।
केवल जमीनी स्तर पर पुलिस कर्मी ही इस समस्या से कुछ हद तक निपट सकते हैं। राज्य पुलिस अधिकारियों को कांस्टेबल स्तर के लोगों को विशेष प्रशिक्षण देना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से, पश्चिम बंगाल में इस प्रणाली का पालन नहीं किया जाता है। पश्चिम बंगाल पुलिस कर्मियों के पास कर्मियों की कमी चल रही है और इसलिए वे मुख्य रूप से कानून और व्यवस्था की समस्याओं से निपटने में शामिल हैं। उनमें से बहुत कम लोग स्लीपर सेल से निपटने के लिए प्रशिक्षित या निपटने के लिए सुसज्जित हैं।