कोलकाता। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) समिति के सदस्यों ने रविवार को पीड़ितों, शिकायतकर्ताओं और विभिन्न हितधारकों को पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा से संबंधित मुद्दों और शिकायतों पर बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया। एनएचआरसी की टीम सोमवार को सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक स्टाफ ऑफिसर्स मेस, सेक्टर वी साल्टलेक, कोलकाता में शिकायतकर्ताओं, पीड़ितों, याचिकाकर्ताओं और अन्य हितधारकों के साथ बातचीत करने और उनकी बातों को सुनने के लिए कम से कम तीन घंटे के लिए उपलब्ध रहेगी।
एनएचआरसी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इसके सदस्य पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं से मिलेंगे, चाहे उनकी जाति, पंथ, धर्म, लिंग, जातीयता और राजनीतिक संबद्धता कुछ भी हो। जो लोग आने में असमर्थ हैं उन्हें सलाह दी गई है कि वे अपनी शिकायतें, याचिकाएं, समर्थन साक्ष्य और दस्तावेज इसकी ईमेल आईडी पर भेजें, nhrcwrit142@gmail.com (एनएचआरसीडब्ल्यूआरआईटी142एटदरेट जीमेल डॉट कॉम) या 8826705906 और 8799712259 पर फोन भी कर सकते हैं।
NHRC को सुनवाई की अगली तारीख 30 जून तक अदालत के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है। घंटों बाद एनएचआरसी ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा की शिकायतों की जांच करने के लिए एक सात सदस्यीय पैनल का गठन किया और पैनल को उन लोगों की पहचान करने के लिए कहा जो प्रथम दृष्टया हिंसा के लिए जिम्मेदार थे।
पूर्व खुफिया ब्यूरो प्रमुख राजीव जैन की अध्यक्षता वाली समिति जिन्होंने 2 जून को NHRC सदस्य के रूप में कार्यभार संभाला था, पश्चिम बंगाल में विभिन्न स्थानों का दौरा कर रही है और इन शिकायतों और आरोपों की सत्यता की जांच कर रही है।
समिति में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद, राष्ट्रीय महिला आयोग के सदस्य राजुलबेन एल देसाई, एनएचआरसी के निदेशक जांच संतोष मेहरा और डीआईजी, जांच मंजिल सैनी, पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के रजिस्ट्रार प्रदीप कुमार पांजा और पश्चिम बंगाल राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण सदस्य सचिव राजू मुखर्जी भी शामिल हैं।
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के राज्य चुनाव जीतने के बाद भड़की हिंसा पर कई याचिकाओं पर सुनवाई करने वाले उच्च न्यायालय ने 18 जून को आदेश दिया कि NHRC को समिति का गठन करना है। राज्य सरकार अगले दिन एक समीक्षा याचिका के साथ उच्च न्यायालय पहुंची, जिसमें पांच न्यायाधीशों से अपने आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया गया था।
भारतीय जनता पार्टी ने ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ लगातार अभियान चलाते हुए आरोप लगाया है कि उसके समर्थकों को निशाना बनाया जा रहा है। साथ ही यह भी आरोप लगाया गया है कि पार्टी का समर्थन करने के लिए 30 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गई है और महिलाओं के साथ दुष्कर्म और छेड़छाड़ की गई है।