लोकतंत्र के महोत्सव 2024 के लिए आदर्श आचार संहिता गाइडलाइंस जारी
राजनीतिक पार्टियों, कार्यकर्ताओं, उम्मीदवारों व शासन प्रशासन से चुनावी आदर्श आचार संहिता का पालन करके सहयोग करने की अपेक्षा पूरे देश को है- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां के हर देश की नजरे भारत के लोकतंत्र के महापर्व 2024 पर लगी हुई है, कि 18 वीं लोकसभा के मेंबर कौन होंगे, किसको पीएम का ताज मिलेगा, भारत का नेतृत्व कौन करेगा, विजन 2047 को कौन आगे ले जाएगा। पूरी दुनियां की नजरे इसलिए भी लगी है कि पिछले 10 वर्षों से भारत नें जो विकास के झंडे गाड़े हैं, उसने दुनियां का ध्यान भारत की ओर खींचा है और अब दुनियां देख रही है कि इस लोकतंत्र के सबसे बड़े महोत्सव में चुनाव आयोग किस तरह अपनी जिमेदारियां बेहतरीन ढंग से निभाता है। हमने देखे कि चुनाव आयोग ने चुनावी आचार संहिता के दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं जो अधिसूचना के बाद से ही लागू हो चुके हैं, अब भारत का हर मतदाता कह रहा है कि, नेताजी सावधान रहिएगा, चुनाव आयोग की गाइड लाइंस का पालन कीजिएगा। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, राजनीतिक पार्टियों, कार्यकर्ताओं, उम्मीदवारों व शासन प्रशासन से चुनावी आदर्श आचार संहिता का पालन करके सहयोग की अपेक्षा पूरे देश को है।
साथियों बात अगर हम चुनावी आदर्श आचार संहिता को समझने की करें तो, चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया है। इसके साथ ही आदर्श आचार संहिता तुरंत लागू हो गई है। ये चुनाव के नतीजे आने तक लागू रहेगी। सवाल है कि- आदर्श आचार संहिता क्या है? कोड ऑफ कंडक्ट क्या होता है? इसके क्या नियम हैं? चुनाव में एमसीसी का मतलब क्या है? ये ऐसा विषय है जिसके बारे में सभी को पता होना चाहिए। परीक्षाओं में भी इससे जुड़े सवाल पूछे जाते हैं। यह भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा प्रकाशित दिशानिर्देशों का एक समूह है।यह चुनाव प्रचार और मतदान के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए आचरण के मानदंड तय करता है। सत्ताधारी पार्टी के मंत्रियों को एमसीसी लागू होने के दौरान कैसे आचरण करना चाहिए, इसके बारे में भी निर्देश देता है। यह बताता है कि विवाद होने पर पार्टियां कैसे चुनाव आयोग के पर्यवेक्षकों के पास शिकायत दर्ज करा सकती हैं। 2019 में, चुनाव घोषणापत्रों के संबंध में एक नया नियम जोड़ा गया, जिसमें पार्टियों को संविधान के आदर्शों के प्रतिकूल वादे करने से मना किया गया। मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट कैसे लागू होता है?चुनाव आयोग आम या विधानसभा चुनाव से पहले सरकार को दिशा-निर्देश जारी करता है। इन दिशानिर्देशों के अनुसार, जिन अधिकारियों (पुलिस सहित) को उनके गृह जिले में तैनात किया गया है और जिन्होंने उस जिले में तीन या चार साल पूरे कर लिए हैं या पूरे करने वाले हैं, उनका तबादला कर दिया जाता है।इससे यह सुनिश्चित होता है कि चुनाव में कोई दखल न दे सके। इसके बाद, नए नियुक्त अधिकारी एमसीसी लागू करते हैं और चुनाव आयोग के नोडल अधिकारी पालन की निगरानी करते हैं।
साथियों बात अगर हम आदर्श आचार संहिता को समान आचरण, जुलूस, बैठक, सभा, मतदान के दिन और सत्ताधारी दल के एंगल से समझने की करें तो- सत्ताधारी दल, सत्ताधारी दल, चाहे वे केन्द्र में या संबंधित राज्य या राज्यों में हों यह सुनिश्चित करेगा कि इस बात के लिए कोई शिकायत का मौका न दिया जाए कि उन्होंने अपने निर्वाचन अभियान के प्रयोजनार्थ अपनी आधिकारिक स्थिति का उपयोग किया है और विशेष रूप से- (क) मंत्रीगण अपने आधिकारिक दौरे को न तो निर्वाचन प्रचार कार्य के साथ जोड़ेंगे और न ही निर्वाचन प्रचार कार्यों के दौरान सरकारी मशीनरी या कार्मिक का उपयोग करेंगे। (ख) सत्ताधारी दल के हित को बढ़ावा देने के लिए सरकारी विमानों, वाहनों, मशीनरी और कार्मिक सहित सरकारी परिवहन का उपयोग नहीं करेंगे; चुनावी बैठकें आयोजित करने के लिए मैदानों इत्यादि जैसे सार्वजनिक स्थानों, और हवाई उड़ानों के लिए चुनावों के संबंध में एयर-फ्लाइटों के लिए हेलीपैड के उपयोग पर उसका (सत्ताधारी दल) एकाधिकार नहीं होगा। अन्य दलों और अभ्यर्थियों को उन्हीं नियमों और शर्तों पर ऐसे स्थानों और सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी जिन नियमों और शर्तों पर सत्ताधारी दल द्वारा उनका उपयोग किया जाता है; विश्राम गृहों, डाक बंगलों या अन्य सरकारी आवासों पर सत्ताधारी दल या उसके अभ्यर्थियों का एकाधिकार नहीं होगा और अन्य दलों और अभ्यर्थियों को इन आवासों का निष्पक्ष ढंग से उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी, किन्तु कोई भी दल या अभ्यर्थी इन आवासों (उसके अंतर्गत मौजूद परिसरों सहित) का उपयोग न तो चुनाव अभियान कार्यालय के रूप में और न ही निर्वाचन प्रचार के प्रयोजनार्थ कोई सार्वजनिक सभा आयोजित करने के लिए करेगा और न ही ऐसा करने की अनुमति दी जाएगी; सत्तासीन दल की संभावनाओं को बढ़ावा देने की दृष्टि से निर्वाचन अवधि के दौरान समाचार पत्रों और अन्य संचार माध्यमों मे सार्वजनिक राजकोष की लागत से विज्ञापन जारी करने और राजनीतिक खबरों और प्रचार-प्रसार को पक्षपातपूर्ण कवरेज के लिए आधिकारिक जन संचार माध्यमों के दुरुपयोग से ईमानदारी से परहेज करना चाहिए।
मंत्री और अन्य प्राधिकारी आयोग द्वारा निर्वाचनों की घोषणा के समय से विवेकाधीन निधियों से अनुदान/भुगतान मंजूर नहीं करेंगे; और आयोग द्वारा निर्वाचनों की घोषणा के समय से, मंत्री और अन्य प्राधिकारी – (क) किसी भी रूप में कोई भी वित्तीय अनुदान या उसे दिए जाने के वादे की घोषणा नहीं करेंगे; या (ख) (लोक सेवकों के सिवाय) किसी भी प्रकार की परियोजनाओं या योजनाओं का शिलान्यास इत्यादि नहीं करेंगे; या (ग) सड़क निर्माण, पेय जल सुविधाओं की व्यवस्था इत्यादि का कोई वादा नहीं करेंगे; या (घ) सरकारी, लोक उपक्रमों इत्यादि में कोई भी ऐसी तदर्थ नियुक्तियां नहीं करेंगे जिसका मतदाताओं को सत्ताधारी दल के पक्ष में प्रभावित करने का असर पड़ता हो।
(1) जलूस का आयोजन करने वाला दल या अभ्यर्थी जलूस शुरू करने के स्थान और समय, अनुगमन किए जाने वाले रूट और जलूस समाप्त होने के स्थान और समय के बारे में पहले से निर्णय करेगा। सामान्यतया कार्यक्रम से कोई विचलन नहीं होगा।
(2) आयोजक स्थानीय पुलिस प्राधिकारियों को कार्यक्रम की अग्रिम सूचना देंगे ताकि वे आवश्यक व्यवस्था कर सकें।
(3) आयोजक इस बात का अभिनिश्चयन करेंगे कि जिन इलाकों से जलूस को गुजरना है, क्या उन इलाकों में कोई प्रतिबंधात्मक आदेश प्रवृत्त हैं और वे प्रतिबन्ध आदेशों का पालन करेंगे बशर्ते सक्षम प्राधिकारी द्वारा विशेष रूप से रियायत न दी गई हो। यातायात संबंधी किन्हीं विनियमों या प्रतिबंधों का भी ध्यानपूर्वक अनुपालन किया जाएगा।
(4) आयोजक जलूस गुजारने (निकालने) के लिए पहले से व्यवस्था करने हेतु कदम उठाएंगे ताकि यातायात में कोई रुकावट या बाधा न आए। यदि जलूस बहुत लंबा है, तो उसे उचित लंबाइयों के हिस्सों में आयोजित किया जाएगा, ताकि सुविधाजनक अंतरालों पर, विशेष रूप से उन स्थानों पर जहां जलूस को सड़क का चौराहा पार करना है, रुके हुए यातायात को चरणों में छोड़े जाने की अनुमति दी जा सके ताकि यातायात में अत्यधिक भीड़-भाड़ से बचा जा सके।
(5) जलूस इस प्रकार से नियंत्रित किया जाएगा कि वह जहां तक संभव हो सके, सड़क के दाहिने तरफ रहे और ड्यूटी पर तैनात पुलिस के निर्देश और सलाह का कड़ाई से अनुपालन किया जाएगा।
(6) यदि दो या अधिक राजनीतिक दल या अभ्यर्थी जलूस एकसमान मार्ग या उसके हिस्सों पर लगभग एक ही समय पर निकालने का प्रस्ताव रखते हैं, तो यह सुनिश्चित करने के लिए कि जलूस आपस में न टकराएं या यातायात में बाधा उत्पन्न न करें, आयोजक काफी समय रहते संपर्क करेंगे और किए जाने वाले उपायों के बारे में निर्णय लेंगे। संतोषजनक व्यवस्था कायम करने के लिए स्थानीय पुलिस की सहायता ली जाएगी। इस उद्देश्य के लिए, पार्टियां पुलिस से यथाशीघ्र संपर्क करेंगी।
(7) राजनीतिक दल या अभ्यर्थी, जलूस में ऐसी वस्तुएं आदि साथ लेकर चलने वाले लोगों के मामले में अधिकतम संभव सीमा तक नियंत्रण रखेंगे जिनका अवांछनीय तत्वों द्वारा, विशेष रूप से उत्तेजना के पलों में, दुरुपयोग किया जा सके।
(8) किसी भी राजनीतिक दल या अभ्यर्थी द्वारा दूसरे राजनीतिक दलों के सदस्य या उनके नेताओं को निरूपित करने के लिए तात्पर्यित पुतलों को ढोना, जनता में ऐसे पुतलों को जलाना और इस तरह के दूसरे प्रदर्शनों का समर्थन नहीं किया जाएगा।
सामान्य आचरण : कोई दल या अभ्यर्थी ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जो भिन्न-भिन्न जातियों और समुदायों, चाहे वे धार्मिक या भाषाई हों, के बीच विद्यमान मतभेद को और अधिक बिगाड़े या परस्पर घृणा उत्पन्न करे या उनके बीच तनाव कायम करे। जब राजनैतिक दलों की आलोचना की जाए, तो उसे उनकी नीतियों और कार्यक्रम, विगत रिकॉर्ड और कार्य तक ही सीमित रखा जाएगा। दल और अभ्यर्थी दूसरे दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं की निजी जिंदगी के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना करने से विरत रहेंगे जो उनकी सार्वजनिक गतिविधियों से नहीं जुड़ी हुई हैं। असत्यापित आरोपों या विकृति के आधार पर दूसरे दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना करने से बचना होगा। वोट हासिल करने के लिए जाति या संप्रदाय की भावनाओं के आधार पर कोई अपील नहीं की जाएगी। मस्जिदों, चर्चों, मंदिरों और पूजा के अन्य स्थानों का चुनाव प्रचार के मंच के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। सभी दल और अभ्यर्थी ऐसी सभी गतिविधियों से ईमानदारी पूर्वक परहेज करेंगे जो निर्वाचन विधि के अधीन भ्रष्ट आचरण एवं अपराध हैं जैसे कि मतदाताओं को घूस देना, मतदाताओं को डराना धमकाना, मतदाताओं का प्रतिरूपण करना, मतदान केंद्रों से 100 मीटर की दूरी के भीतर प्रचार करना, मतदान समाप्त होने के लिए नियत घंटे के साथ समाप्त होने वाले 48 घंटों की अवधि के दौरान सार्वजनिक बैठकें आयोजित करना और मतदाताओं को मतदान केन्द्रों तक ले जाने और वापस लाने के लिए परिवहन और वाहन की व्यवस्था करना।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि नेताजी सावधान रहिएगा चुनाव आयोग की आचार संहिता गाइडलाइन का पालन कीजिएगा। लोकतंत्र के महोत्सव 2024 के लिए आदर्श आचार संहिता गाइडलाइंस जारी। राजनीतिक पार्टियों, कार्यकर्ताओं, उम्मीदवारों व शासन प्रशासन से चुनावी आदर्श आचार संहिता का पालन करके सहयोग करने की अपेक्षा पूरे देश को है।
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