पड़ोसी, विस्तारवादी मुल्क का चढ़ा पारा – सलामत रहे दोस्ताना हमारा

भारत अमेरिका भाई-भाई – रिश्तो के निर्णायक दौर की बेला आई
50 लाख से अधिक मूल भारतीय अमेरिकियों का दोनों देशों के रिश्तो को निर्णायकता में पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान – एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर पूरी दुनिया के देशों की 21-24 जून 2023 से शुरू हुई भारतीय पीएम की अमेरिका यात्रा को टकटकी नजरों से एकटक पढ़ने को मजबूर हो गए हैं, जो ठीक भी है, क्योंकि शायद दोनों देशों के बीच ऐसी महत्वपूर्ण और दोनों देशों के रिश्तों का निर्णायक दौर में पहुंचाने वाली यह राजनयिका यात्रा शायद दोनों देशों के संबंधों के इतिहास में पहली बार हुई है जो पूरी दुनियां की दिशा और दशा बदलने में सहायक सिद्ध होगी। मेरा मानना है कि 2015 में जिस तरह पीएम ने लाखों मूल भारतीय अमेरिकियों के बीच ट्रंप की खुली चुनावी अपील की थी उसको देखते हुए जो बाइडेन से इस तरह अति सहयोगात्मक और उम्मीद से बढ़कर भारत का ध्यान रखना, पीएम को अति मान सम्मान और प्रोत्साहन करने की संभावना नहीं थी। परंतु राष्ट्रपति बनने के बाद जिस तरह भारत अमेरिका संबंधों को बढ़ाकर एक निर्णायक दौर पर पहुंचा दिया है वह काबिले तारीफ है।

जिसका कारण विस्तारवादी मुल्क से बढ़ती तल्खी भी है और उससे निपटने में भारत की जांबाजी जज्बा और दम का दिखाना भी है। जिसमें अब अगर रक्षा और व्यापारिक समझौतों की कड़ी बढ़ेगी और भारत को रक्षा क्षेत्र में 414 जेट इंजन का लड़ाकू विमान बनाने की तकनीकी, एम 777 तकनीकी, स्ट्राइकर बख्तरबंद गाड़ियों की तकनीकी, अमेरिकी प्रेडेटर ड्रोन तथा दूर तक मार करने वाली मिसाइल इत्यादि की तकनीकी शेयर कर भारत में निर्माण के समझौते होंगे तो भारत को सुपर पावर बनाने में सहयोगी सिद्ध होंगे। जिससे भारत की ताकत विस्तारवादी देश की आफत। इसलिए हम कहते हैं यह 21- 24 जून 2023 का दौरा ख़ास जिसका रचा जाएगा इतिहास। चूंकि पीएम का यह दौरा इतिहास रचने जा रहा है इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारतीय अमेरिका भाई-भाई रिश्तो में निर्णायक दौर की बेला आई।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

साथियों बात अगर हम भारतीय विदेश सचिव द्वारा 19 जून 2023 को जानकारी साझा कर रोडमैप बताने की करें तो उन्होंने कहा, वे बुधवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह का नेतृत्व करेंगे ज्ञात हो, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 2014 में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था। इस यात्रा से व्यापार और निवेश को लेकर नई राहें खुलेंगी। वहीं पीएम के इस दौरे के बाद दोनों देशों के संबंधों को नया आयाम मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इससे रक्षा क्षेत्र में नया और मजबूत तंत्र विकसित होगा द्विपक्षीय रक्षा सहयोग होगा मजबूत।विदेश सचिव ने यह भी कहा कि पीएम की यह ऐसी यात्रा है जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका में वास्तविक और व्यापक गहरी रुचि है। जिन प्रमुख घटकों को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा उनमें से एक द्विपक्षीय रक्षा सहयोग होगा। उन्होंने कहा कि रक्षा औद्योगिक सहयोग रोडमैप पीएम की अमेरिकी यात्रा का एक महत्वपूर्ण परिणाम होगा। पीएम कुछ चुनिंदा सीईओ, पेशेवरों और अन्य हितधारकों के साथ भी मुलाकात करने वाले हैं। वह प्रवासी भारतीयों के सदस्यों से भी मिलेंगे। यह यात्रा दोनों देशों के सहयोग में एक मील का पत्थर साबित होगी। ऐसे में यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण यात्रा है।

साथियों बात अगर हम अमेरिका दौरे से तेजी से सहयोग बढ़ने की करें तो, दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बहुत ही तेजी से बढ़ रहा हैं। पीएम के अमेरिका दौरे में दोनों देशों के रक्षा उद्योग के बीच कई समझौते के आसार हैं। 50 लाख से अधिक भारतीय अमेरिकी भी दोनों देशों के संबंधों में महत्वपूर्ण योगदान रहे हैं। पिछले 9 सालों में ये उनका 8 वां अमेरिकी दौरा होगा। उनके इस यात्रा के भारत और अमेरिका में तैयारियां तकरीबन पूरी हो गई है। पीएम के अमेरिका पहुंचने से पहले उनके स्वागत की तैयारी हो गई है, इसके तहत वाशिंगटन डीसी में व्हाइट हाउस के बाहर भारत का तिरंगे लहराते नजर आए।पीएम का अमेरिका की राजकीय यात्रा पर गए हैं, ये उनकी पहली राजकीय यात्रा हुई जबकि भारत के वो दूसरे ऐसे पीएम होंगे जो अमेरिका की राजकीय यात्रा पर जा रहे हैं।

उनका ये दौरा काफी मायनों में अहम माना जा हा है जो भविष्य के रिश्तों का आधार देने में बड़ी भूमिका निभाएगा। इस दौरान वह अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को भी संबोधित करेंगे। अभी हाल ही में दो दिन की यात्रा पर आए अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार आत्मविश्वास से लबरेज नजर आ रहे थे। वह कह रहे थे कि अमेरिकी प्रेसीडेंट बाइडेन ने भारत अमेरिका के बीच रिश्तों में बाधा बनने वाले सभी बैरियर्स हटा दिए हैं। जीई 414 जेट इंजन की टेक्नोलॉजी भारत के लिए महत्वपूर्ण है। भारत, अमेरिका के साथ सेमी-कंडक्टर्स की आपूर्ति को लेकर भी सहयोगी रुख अख्तियार कर रहा है। डिलिवरेबल्स में भारत में एक सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम स्थापित करने में सहयोग होगा।

इसमें माइक्रोन गुजरात में बड़ी असेंबली, टेस्टिंग और पैकेजिंग मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी में एक प्रमुख निवेश की घोषणा शामिल होगी, लेकिन इसके साथ ही, कम से कम दो अन्य अमेरिकी कंपनियां कार्यबल प्रशिक्षण के लिए एक बड़ी पहल का अनावरण करेंगी, जो हजारों भारतीय इंजीनियरों को डोमेन में कौशल से लैस करेगी। अमेरिका भारत को एक महत्वपूर्ण काउंटरपॉइंट के रूप में देख रहा है। ऐसे में चुनिंदा भारतीय शहरों में 5 जी और फिर 6 जी के लिए ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क (ओआरएएन) की तैनाती की घोषणा की उम्मीद है। जनवरी में आईसीईटी के लॉन्च के दौरान, भारत ने कहा था कि देश की लागत प्रतिस्पर्धात्मकता और पैमाने को देखते हुए, दोनों पक्ष विश्वसनीय स्रोतों का इस्तेमाल करके 5 जी/6 जी और ओआरएएन को कवर करते हुए एक निजी संवाद शुरू करने पर सहमत हुए हैं। व्हाइट हाउस ने तब कहा था कि दोनों पक्ष 5 जी और 6 जी में अनुसंधान और विकास पर सहयोग को आगे बढ़ाएंगे।

साथियों बात अगर हम भारत अमेरिका समझौतों की मायना समझने की करें तो, किन्हीं दो देशों के बीच दो प्रकार का समझौता होता है पहला आधिकारिक सरकारी समझौता- दो देशों के बीच सरकारी स्तर पर होने वाली डील इसी समझौते के तहत आती है, इसमें दो देशों के नेता, मंत्रिमंडल के सदस्य, अधिकारी या प्रतिनिधि बातचीत के बाद फैसला लेते हैं, इसमें फाइनेंसियल, कमर्शियल, डिफेंस, साइंस और टेक्नोलॉजी सहयोग समेत अन्य सहयोग शामिल हो सकते हैं, चूंकि यह इसमें दोनों देशों के हित जुड़े होते हैं इसीलिए इसे ट्रीटी कहा जाता है। दूसरा होता है व्यापारिक समझौता, इसमें दोनों देश व्यापारिक आयात-निर्यात को लेकर समझौता करते हैं, जरूरी नहीं कि यह समझौता दोनों देशों की सरकारें ही करें, यदि देश का कानून और नियम अनुमति देता है तो व्यापारिक समझौता कोई भी बिजनेसमैन या आम आदमी किसी दूसरी देश के उद्यमी या आम आदमी से कर सकता है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे होने का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि पड़ोसी, विस्तारवादी मुल्क का चढ़ा पारा – सलामत रहे दोस्ताना हमारा। भारत अमेरिका भाई-भाई – रिश्तो के निर्णायक दौर की बेला आई। 50 लाख़ से अधिक मूल भारतीय अमेरिकियों का दोनों देशों के रिश्तो को निर्णायकता में पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान है।

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