नवग्रह औषधि स्नान, जाने क्यों और क्या है फल

औषधि स्नान का महत्व भारतीय प्राचीन चिकित्सकीय ग्रंथों में मिलता है। प्राचीन आयुर्वेदशास्त्री इस बात की महत्ता को भली-भांति जानते थे। औषधि स्नान ज्योतिष में भी महत्वपूर्ण माना गया है। यदि कोई व्यक्ति किसी ग्रह बाधा या पीड़ा से पीड़ित है और यदि वह औषधि स्नान करे तो ग्रहों का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है या दूर हो जाता है।

प्रत्येक ग्रह का सम्बन्ध कुछ विशेष औषधियों से होता है और यदि कोई ग्रह जन्मकुंडली में निर्बल हो और अशुभ फल दे रहा हो तो उस ग्रह से सम्बन्धित औषधियों के मिश्रण से स्नान करना लाभदायक सिद्ध होता है। अतः प्राचीन काल में हमारे ऋषि-मुनिगण ग्रहों की पीड़ा को शान्ति करने के लिए जातक को औषधि स्नान कराते थे।

*सूर्य
पृथ्वी पर ऋतुओं का बदलना और सर्द-गर्म के अलग-अलग महत्व ले कर आने वाली फसलें, त्यौहार, जीवन शक्ति और अर्थ के कारण सूर्य को जीवन का कारक माना गया है। ज्योतिष में सूर्य ग्रह शक्ति, स्थिति और अधिकार का प्रतीक है। साथ ही, यह ग्रह यश और भलाई को भी दर्शाता है। सौर मंडल का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होने के कारण सूर्य को नियंत्रक, ब्रह्मांड के स्वामी, ऊर्जा केंद्र और ग्रह सम्राट भी माना जाता है।

अतः ज्योतिष विद्या में सूर्य को एक समयनिष्ठ ग्रह कहा जाता जिसके कारण प्रत्येक व्यक्ति जिनका सूर्य प्रबल हो वह प्रभावशाली होते हैं। अतः सूर्य की शांति के लिए बेल के पेड़ की जड़, इलायची, केसर, रक्त-चन्दन, मुलेठी, देवदार, महुआ, लाल कनेर के फूल पानी में डालकर स्नान करें। ऐसा करने से जल्द ग्रह शांति दोष दूर हो जाएगा।

*चंद्र
ज्योतिष में चंद्रमा हमारी अंतरतम व्यक्तिगत इच्छाओं, आकाँक्षाओं और आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करता है। यह ग्रह व्यक्ति की भावनाओं और मानसिक अवस्था को भी नियंत्रित करता है। चंद्रमा सौर मंडल और ज्योतिष विद्या का सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है।

एक व्यक्ति आतंरिक सतह पर कैसा है और कैसी भावनाएं रखता है। वह उसके चंद्रमा और चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए मंगल एक ऊर्जावान और आक्रामक ग्रह है, और यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र, मंगल ग्रह के साथ हो उस व्यक्ति का अधिकांश स्थितियों में गुस्से और भावुकता पर नियंत्रण नहीं होता। इसलिए कहा जाता है कि किसी व्यक्ति कि मनोस्थिति ठीक होने के लिए कुंडली में चंद्रमा का सुव्यवस्थित होना बहुत जरूरी है।

ज्योतिषी के अनुसार, चंद्र ग्रह को प्रसन्न रखना अत्यंत आवश्यक है। अतः चंद्र की प्रसन्नता के लिए खिरनी की जड़, गुलाब जल, पंचगव्य, श्वेत चन्दन, चांदी, मोती, सीप, शंख और कुमुदिनी के फूल को जल में डाल कर उससे स्नान करने से चंद्रमा प्रसन्न होते हैं। साथ ही उनकी दी हुई पीड़ा भी शांत होती है।

*मंगल
व्यक्ति के जीवन में जो भी पहलू लाल, रक्त, गर्म, फुरतीला, परम तेजस्विता और तीक्ष्ण हैं, वह सब प्रज्वलित ग्रह मंगल की देन होती हैं। मंगल की प्रबल स्थिति एक सशक्त व्यक्तित्व का निर्माण करती है और हमारी सीमाएं मजबूत ही केवल नहीं होती हैं अपितु विस्तारित भी होती है। अतः प्रत्येक सशक्त प्रवृत्ति का सम्मान किया जाता है। यह ग्रह जीवन में ऊर्जा और बल दोनों नैतिकता और अनुशासन का नियंत्रण करता है।

वैदिक ज्योतिष में मंगल को युद्ध के देवता के रूप में भी बताया जाता है। साथ ही यह ग्रह जीवन में श्रेष्ठता और बाधाओं को दूर करने की प्रबल इच्छाशक्ति देता है। जीवन में सशक्तता, पराक्रम बढ़ाने और अग्रसरता के लिए कुंडली में मंगल की स्थिति का प्रबल होना जरूरी है। अतः मंगल शांति के लिए अनंतमूल, सोंठ, सौंफ, लाल चंदन, जटामांसी, हींग, लाल फूल पानी में डालकर स्नान करना चाहिए।

*बुध
बुध, मस्तिष्क, क्षमता, दृढ़ता, और कौशल का अनुवादक है। यह दिखाता है कि आप किसी विषय को कैसे और कितना बेहतर या अपर्याप्त जानते हैं। यह ग्रह आपके मस्तिष्क और कुशलता का लेंस है और जिस आकार को आप वास्तविकता देते हैं। बुध ग्रह को संदेशवाहक भी कहा गया है और प्राचीन कथाओं एवं वैदिक ज्योतिष में इसे बुद्धिमत्ता का नियंत्रक भी माना जाता है।

इसके अलावा एक व्यक्ति किस तरह बात करता है, सोचता है, चलता है और रहता है इस पर भी बुद्ध ग्रह का नियंत्रण होता है। अतः बुद्धिमत्ता और ज्ञान के लिए इसकी मूल भूमिकाओं से परे हमें यह याद रखना आवश्यक है। अतः बुध शांति के लिए विधारा की जड़, गोरोचन, शहद, जायफ़ल, पीपरमूल, अक्षत, आंवला पानी में डालकर स्नान करना चाहिए।

*गुरु
बृहस्पति या गुरु, व्यक्ति जीवन में समृद्धि और भाग्य का शासन करता है। वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह का विचित्र महत्व है। मुख्य रूप से बृहस्पति ग्रह आध्यात्मिकता और शिक्षा से संबंधित है। साथ-साथ यह व्यक्ति के जीवन में धनवंता, बुद्धिमत्ता, और उदारता का नियंत्रण करता है।

प्रबल स्थिति में यह व्यक्ति को एक उदारचरित्र और श्रेष्ठ सोच देता है। यदि कुंडली में बाकि कुछ ग्रह नीच स्थान पर भी हों तब भी बृहस्पति ग्रह के प्रभाव से वह जातक के जीवन में उदारता और शालीनता को प्रभावित नहीं करते।

इस शुभ ग्रह की प्रसन्नता और प्रबलता दोनों आध्यात्मिक, शिक्षित, सुसंस्कृत चरित्र के लिए एक भांति आवश्यक है। अतः गुरु ग्रह की प्रसन्नता के लिए हल्दी, शहद, गिलोय, मुलेठी, गुलांगी, चमेली के पुष्प, भारंगी, मालती का फूल, सफेद सरसों को पानी में डालकर स्नान करना चाहिए।

*शुक्र
विशेष रूप से शुक्र सभी स्त्री ऊर्जा, आनंद, पुष्प, सुंगंध आनंद और काम के बारे में है, इस प्रकार आपको अपने प्रेमी/प्रेमिका/पति/पत्नी की ईमानदारी से देखभाल करनी चाहिए। एक अच्छी आदत के रूप में किसी भी चीज की परवाह किए बिना दैनिक जीवन साथी की प्रशंसा करना शुरू करें। इसके अलावा कुछ शुभ और महंगा खरीदें। अतः शुक्र ग्रह की शांति के लिए जायफल, मनोसिल, पीपरमूल, केसर, इलायची, श्वेत चन्दन, दूध, आंवला, केसर, मूली के बीज पानी में डालकर स्नान करें।

*शनि
कर्म देवता या शनि कोई ऐसा व्यक्तित्व नहीं है जो आसानी से प्रसन्न हो जाए। आपको अनुशासन और कठिन परिश्रम के लिए हर तरह से खुद को परिमार्जन करना होगा और अपनी वफादारी को साबित करना होगा। परिणाम फिर भी सबसे आश्चर्यजनक तरीके से आता है, जब शनि महाराज आपके प्रयासों से खुश हैं। अतः शनि शांति के लिए अमर बेल, सौंफ, सरसों, खसखस, काले तिल, लोबान, सुरमा, नागरमोथा, शतपुष्पी, काले उड़द और लोधरे के फूल मिले जल से स्नान करने से शनि प्रसन्न होते हैं।

*राहु
अर्ध-ग्रह राहु ज्योतिष में भ्रम कारक और छाया ग्रह कहा जाता है। साथ ही राहु ग्रह के सर के निचे का भाग ना होने के कारण कहा जाता है कि इसे कभी संतुष्ट नहीं किया जा सकता। राहू आपको सीमा रेखा से ऊपर ले जाता है और आप ऐसी चीजें करते हैं जिन्हें समाज स्वीकार नहीं करेगा।

ग्रह राहु वर्जनाओं का प्रतिनिधित्व करता है और जुनूनी कार्यों की ओर ले जाता है। स्पष्ट रूप से कुछ भी ऐसा है जो मूल रूप से नैतिक रूप से नहीं होना चाहिए, लेकिन व्यक्ति वह करना चाहे तो इसका कारण राहु ग्रह होता है। अतः राहु शांति के लिए लोबान, देवदार, कस्‍तूरी, गजदंत, दूर्वा, नागबेल, तिल के पत्र को पानी में डालकर स्नान करने से ग्रह शांति दोष से मुक्ति मिल जाती है।

*केतु
केतु बिना सर का अर्ध-ग्रह भी कहा जाता है। यह व्यक्ति को आध्यात्मिक प्रवृत्ति और सांसारिक इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं के प्रति अनासक्ति प्रदान करता है। साथ ही खोखले प्रयासों से अलग होने में मदद करता है और मुक्ति की ओरे अग्रसर करता है।
कहा जाता है कि राहु देने वाला है और केतु लेने वाला ग्रह है। केतु हमेशा व्यक्ति की सोच के दायरे को ज्ञान और भविष्य जीवन की तरफ ले जाता है।

फलतः केतु व्यक्ति को चरित्र और मानसिकता के मामले में बेहतर बनाता है। अतः कुंडली में केतु के प्रबल और प्रसन्न होने के कई फायदे हैं। अतः केतु की शांति के लिए लोबान, देवदार, लाल चंदन, कुशा, बला, मोथा, प्रियंगु को पानी में डालकर स्नान करें।

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