कोलकाता। पश्चिम बंगाल में न्याय व्यवस्था किस कदर सुस्त है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आईएसएफ के विधायक नौशाद सिद्दीकी हो रिहा करने का आदेश कलकत्ता हाई कोर्ट ने गत गुरुवार को ही दे दिया था लेकिन शनिवार सुबह उन्हें जेल से छोड़ा गया है। जेल प्रबंधन की ओर से बताया गया कि कोर्ट से रिहाई संबंधित दस्तावेज नहीं पहुंचे थे जिसकी वजह से उन्हें रिहा नहीं किया गया। इसे लेकर उनके अधिवक्ता अब न्यायालय की अवमानना का मामला दाखिल करने की तैयारी में है।
शनिवार को जेल से छूटते ही नौशाद सिद्दीकी ने कांग्रेस नेता की गिरफ्तारी की निंदा की। उन्होंने कहा कि कोलकाता पुलिस और राज्य प्रशासन तृणमूल कांग्रेस के एक हथियार के तौर पर काम कर रहा है ताकि विपक्ष को डरा धमका कर चुप कराया जा सके। इसका कोई लाभ नहीं होगा। प्रेसिडेंसी जेल से छूटने के बाद नौशाद के स्वागत के लिए सैकड़ों की संख्या में समर्थक आए थे। उन्होंने कहा कि कोई अगर सोचता है कि मुझे डरा कर चुप करा देगा तो यह होने वाला नहीं है।
लोगों के समर्थन से मैंने लड़ाई लड़ी है और हमेशा लडूंगा। अब विधानसभा की बारी है। शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार से लेकर सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते तक का मुद्दा उठाउंगा। उल्लेखनीय है कि गत 21 जनवरी को कोलकाता के धर्मतल्ला में विरोध प्रदर्शन के दौरान नौशाद सिद्दीकी को उनके 56 समर्थकों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था। उसके बाद से 40 दिनों से वह जेल में थे।