राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड का गठन अधिसूचित हुआ

विश्व व्यापार में भारतीय हल्दी की हिस्सेदारी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचेगी – किसानों को दूरगामी सुखद परिणाम मिलेंगे
अंतरराष्ट्रीय स्तरपर हल्दी के नए बाजार विकसित करने में राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करना समय की मांग – एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर पूरी दुनियां को विश्वास हो चुका है कि भारत के हर क्षेत्र में चौमुखी विकास हो रहा है। 40-50 सालों से लटके कामों को सफलतापूर्वक नए जोश के साथ आगे बढ़कर मंजिल तक पहुंचा जा रहा है। खेल क्षेत्र में स्वतंत्रता के बाद पहली बार एशियन गेम्स में 107 मैडल लेकर भारत गर्व से झूम उठा है। ऐसे खिलाड़ियों को सम्मान देने के लिए 10 अक्टूबर 2023 को शाम पीएम ने खिलाड़ियों से मुलाकात कर उन्हें अति उत्साहित कर दिया। वहीं आज भारत ने हर क्षेत्र को विकसित करने के लिए उनकी जड़ों तक पहुंचकर समस्याओं का हल ढूंढने में भिड़ गया है, जिसके लिए उस उत्पाद या क्षेत्रों का राष्ट्रीय बोर्ड गठन कर उसका विकास किया गया है, जिसका उदाहरण चाय बोर्ड सहित अनेक बोर्डों का गठन किया गया है और अब दिनांक 4 अक्टूबर 2023 को राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के गठन को केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंजूरी प्रदान कर अधिसूचित हुआ है। बता दें इसके लिए अनेक वर्षों से किसानों की मांग जारी थी और 15-20 सालों से आंदोलन कर रहे थे, जिसमें इस राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के गठन को लेकर प्रण लिया था कि जब तक बोर्ड का गठन नहीं होगा तब तक वह चप्पल नहीं पहनेंगें, अब क्योंकि इस बोर्ड के गठन का प्रस्ताव केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पारित कर अधिसूचित किया गया है।

जिसकी घोषणा माननीय पीएम ने तेलंगाना सभा के उपरांत की थी जिसे उन्होंने पूरा करके दिखाया। अब किसानों को चप्पल गिफ्ट कर उनका मान बढ़ाने और उनकी जीत का जश्न कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं ने मनाया था। बोर्ड के गठन से अब अनेक स्थानों, हल्दी उत्पादन के दूरदराज दुर्लभ स्थान या अनजान स्थान का संज्ञान लेकर वहीं हल्दी उत्पादन में तकनीक की सहायता कर उत्पादन बढ़ाया जाएगा। बोर्ड से मेरा एक सुझाव है कि हमारे नागपुर परिक्षेत्र के पास वाइगांव नामक गांव में हल्दी का उत्पादक किसानों द्वारा किया जाता है जो हमारे क्षेत्र में वाइगांव हल्दी के नाम से बिकती है। बोर्ड इसका संज्ञान लेकर इसका विकास करेगा तो नए ऊंचे आयामों की प्राप्ति किसानों को होगी। चूंकि राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के गठन को अधिसूचित किया गया है, इसलिए आज हम मीडिया में और पीआईबी में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हल्दी के नए बाजार विकसित करने में राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करना समय की मांग है।

साथियों बात अगर हम राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के गठन को अधिसूचित करने की करें तो, भारत सरकार ने आज राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के गठन को अधिसूचित किया। राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड देश में हल्दी और हल्दी उत्पादों के विकास और वृद्धि पर फोकस करेगा। बोर्ड हल्दी से संबंधित मामलों में नेतृत्व प्रदान करेगा। प्रयासों को मजबूत बनाएगा तथा हल्दी क्षेत्र के विकास और वृद्धि में मसाला बोर्ड और अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ अधिक समन्वय की सुविधा प्रदान करेगा। सरकार ने कैब‍िनेट की बैठक में नेशनल टर्मरिक बोर्ड (राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड) के गठन को मंजूरी दे दी है। इसके बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री का कहना है कि इस बोर्ड का लक्ष्य है कि भारत 2030 तक प्रतिवर्ष एक बिलियन डॉलर हल्दी का निर्यात विदेश में किया करेगा। नेशनल टर्मरिक बोर्ड के कामकाज के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि कोरोना महामारी के बाद दुनियां ने हल्दी के महत्व को समझ लिया है। भारत सरकार भी इसके उत्पादन उपभोग और निर्यात को बढ़ावा देना चाहती है, यह बोर्ड इसमें मदद करेगा। इसके साथ ही बोर्ड देश में हल्दी और हल्दी उत्पादों के विकास और ग्रोथ पर ध्यान केंद्रित करेगा। बोर्ड हल्दी से जुड़े मामलों पर नेतृत्व प्रदान करेगा, प्रयासों को बढ़ाएगा, हल्दी क्षेत्र के विकास और टर्मरिक बोर्ड की ग्रोथ और अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ अधिक समन्वय की सुविधा प्रदान करेगा।

इसके साथ ही दुनिया भर में हल्‍दी की खपत बढ़ने की बहुत संभावनाएं है और बोर्ड की मदद से हल्‍दी की प्रत‍ि जागरूकता और खपत बढ़ाने, निर्यात बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए बाजार विकसित करने, नए उत्पादों में र‍िसर्च करने और विकास को बढ़ावा देने का काम करेगा। बोर्ड विशेष रूप से मूल्य संवर्धन से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए हल्दी उत्पादकों की क्षमता निर्माण और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा। बोर्ड गुणवत्ता, खाद्य सुरक्षा मानकों के पालन को भी बढ़ावा देगा। इतना ही नहीं बोर्ड हल्दी को सुरक्षा प्रदान करेगा और उपयोगी दोहन के लिए भी कदम उठाएगा। बोर्ड के गठन को मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री ने पीएम को धन्यवाद देते हुए कहा कि वे हमेशा किसानों के हित में काम करते हैं। हल्दी बोर्ड का गठन भी इसी दिशा में किया गया एक प्रयास है। उनका कहना है कि इससे अनेकों किसानों की लंबी मांग पूरी हो गई जो लगभग 15 से 20 साल से इसको लेकर के आंदोलन कर रहे थे और अपने मांग के समर्थन में उन किसानों ने चप्पल न पहनने का फैसला लिया था।

साथियों बात अगर हम हल्दी के प्रति जागरूकता बढ़ाने बोर्ड के कार्यों की करें तो, हल्दी के स्वास्थ्य और कल्याण लाभों पर विश्व भर में महत्वपूर्ण संभावनाएं और रुचि है, जिसका लाभ बोर्ड जागरूकता और खपत बढ़ाने, निर्यात बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए बाजार विकसित करने, नए उत्पादों में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने तथा मूल्यवर्धित हल्दी उत्पादों के लिए हमारे पारंपरिक ज्ञान के विकास का काम करेगा। यह विशेष रूप से मूल्य संवर्धन से अधिक लाभ पाने के लिए हल्दी उत्पादकों की क्षमता निर्माण और कौशल विकास पर फोकस करेगा। बोर्ड गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा मानकों और ऐसे मानकों के पालन को भी प्रोत्साहित करेगा। बोर्ड मानवता के लिए हल्दी की पूरी क्षमता की सुरक्षा और उपयोगी दोहन के लिए भी कदम उठाएगा। बोर्ड की गतिविधियां हल्दी उत्पादकों के क्षेत्र पर केंद्रित और समर्पित फोकस तथा खेतों के निकट बड़े मूल्यवर्धन के माध्यम से हल्दी उत्पादकों की बेहतर भलाई और समृद्धि में योगदान देंगी, जिससे उत्पादकों को उनकी उपज के लिए बेहतर कीमत मिलेगी। अनुसंधान, बाजार विकास, बढ़ती खपत और मूल्य संवर्धन में बोर्ड की गतिविधियां यह भी सुनिश्चित करेंगी कि हमारे उत्पादक और प्रोसेसर उच्च गुणवत्ता वाले हल्दी और हल्दी उत्पादों के निर्यातकों के रूप में वैश्विक बाजारों में अपनी प्रमुख स्थिति बनाए रखना जारी रखेंगे।

साथियों बात अगर हम हल्दी के व्यापार और उत्पाद की करें तो, भारत विश्व में हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है। वर्ष 2022-23 में 11.61 लाख टन (वैश्विक हल्दी उत्पादन का 75 प्रतिशत से अधिक) के उत्पादन के साथ भारत में 3.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हल्दी की खेती की गई थी। भारत में हल्दी की 30 से अधिक किस्में उगाई जाती हैं और यह देश के 20 से अधिक राज्यों में उगाई जाती है। हल्दी के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु हैं। हल्दी के विश्व व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 62 प्रतिशत से अधिक है। 2022-23 के दौरान, 380 से अधिक निर्यातकों द्वारा 207.45 मिलियन डालर मूल्य के 1.534 लाख टन हल्दी और हल्दी उत्पादों का निर्यात किया गया था। भारतीय हल्दी के लिए प्रमुख निर्यात बाजार बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और मलेशिया हैं। बोर्ड की केंद्रित गतिविधियों से यह उम्मीद की जाती है कि 2030 तक हल्दी निर्यात 1 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा।

साथियों बात अगर हम राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के प्रारूप की करें तो, बोर्ड में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष, आयुष मंत्रालय, केंद्र सरकार के फार्मास्यूटिकल्स, कृषि और किसान कल्याण, वाणिज्य और उद्योग विभाग, तीन राज्यों के वरिष्ठ राज्य सरकार के प्रतिनिधि (रोटेशन के आधार पर), अनुसंधान में शामिल राष्ट्रीय/राज्य संस्थानों, चुनिंदा हल्दी किसानों और निर्यातकों के प्रतिनिधि होंगे, बोर्ड के सचिव की नियुक्ति वाणिज्य विभाग द्वारा की जाएगी। र‍िसर्च टीम में राष्ट्रीय/राज्य संस्थानों, हल्दी किसानों और निर्यातकों के प्रतिनिधि शाम‍िल होंगे।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड का गठन अधिसूचित हुआ।विश्व व्यापार में भारतीय हल्दी की हिस्सेदारी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचेगी – किसानों को दूरगामी सुखद परिणाम मिलेंगे। अंतरराष्ट्रीय स्तरपर हल्दी के नए बाजार विकसित करने में राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करना समय की मांग है।

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए आंकड़े/विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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