राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना आयोजित संगोष्ठी संपन्न

नागदा। भारत की वंदना में भारत माता को जन्मभूमि के रूप में वर्णन किया जाता है। अपनी मातृभाषा एवं हिन्दी का प्रचार-प्रसार करने का सफल माध्यम कवि-कवयित्री होते है तथा भारतीय संस्कृति का संरक्षण देश के असंख्य लोगो के साथ-साथ साहित्यकारो का भी महत्वपूर्ण योगदान रहता है। उपर्युक्त विचार राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा आयोजित संगोष्ठी के मुख्य अतिथि हरेराम वाजपेयी अध्यक्ष हिंदी परिवार इन्दौर ने व्यक्त किये। हिन्दी एवं मराठी के कवि एवं कवयित्रीयों की प्रशंसा करते हुए भाषा के उत्थान के लिये निरन्तर प्रयास का आव्हान किया। संगोष्ठी का शुभारंभ सुमधुर आवाज में राष्ट्रीय उप महासचिव डॉ. संगीता पाल ने नवरचित सरस्वती वंदना से किया।

संगोष्ठी में उपस्थित अतिथियों का परिचय डॉ. प्रभु चौधरी राष्ट्रीय महासचिव ने एवं स्वागत भाषण संगीता केसवानी ने प्रस्तुत किया। संगोष्ठी की प्रस्तावना डॉ. चेतना उपाध्याय राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने काव्यमय दी। काव्य पाठ में बोला कि कविता स्वतः ही रच जाती है। सच है कि कवि मन अपनी शैली और भाषा होती है। पुणे की कवयित्री मीनाक्षी भालेराव ने बेटियों को बचाकर नमन कीजिए, बेटी के जन्म पर खुशी मनाये। कविता वशिष्ठ ने प्रश्न एक जिन्दगी है सुनायी। मराठी कवि एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. बालासाहेब तोरस्कर ने मराठी मे‌ ‘कली बहरली‘ याने अपने स्वास्थ के लिये कभी भी घर में कलह नहीं होना चाहिए, मराठी में सुनायी।

बरेली की डॉ. दीपा संजय कवयित्री ने धनाक्षरी सोलह सिंगार कर हाथ वरमाल धर रूपसी हमारी सिय देखे राह राम की। बाल कविता ‘माय फ्रेण्ड गणेशा’ प्रस्तुत की। डॉ. अरूणा शराफ ने मराठी में परिवार में प्रेम से रहो। जो भी रिश्ते हो उनके प्रति प्रेम हो। शैली भागवत ने कविता का लगता ऐसा ताना बाना है। कविता श्रीराम का आज और अभी ले नाम, राम नाम से ही संवरे तेरे बिगड़े काम प्रस्तुत की। डॉ. सुशीला पाल मुम्बई ने प्रकृति असंतुलीत हो रही है। संगीता केसवानी राष्ट्रीय उप महासचिव इन्दौर ने गजल ये जो होने लगी है, तुम्हे आदत मेरी, कहीं मार ही न दे, तुम्हें सदाकत मेरी सुनायी व प्रशंसा प्राप्त की।

पटना की रजनी प्रभा राष्ट्रीय सहप्रवक्ता पुणे ने कविता में हिन्दी भाषा को सर्वोत्तम बताया। कवयित्री श्वेता मिश्रा ने कहा कि इस धरा पर हम न होते। संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. शहेनाज शेख ने कहा कि भारत भूमि तो देवताओं की जन्म भूमि है। डॉ. अम्बेडकर संविधान प्रणेता पर कविता सुनायी। संगोष्ठी के पश्चात् राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में डॉ. प्रभु चौधरी राष्ट्रीय महासचिव ने आगामी डॉ. अंबेडकर एवं संत कबीरदास समारोह की जानकारी दी। संचालन राष्ट्रीय सचिव श्वेता मिश्रा पुणे ने किया एवं आभार राष्ट्रीय संयुक्त सचिव शैली भागवत ने माना।

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