हिंदी की वैश्विक स्थिति पर विक्रम विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय परिसंवाद सम्पन्न

दुनिया के सभी देशों में हिंदी के प्रति नवचेतना जागृत हुई है – डॉ. पांडेय
भारतीय संस्कृति के प्रसार में हिंदी के साथ अन्य भारतीय भाषाओं की अहम भूमिका है – प्रो. शर्मा

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में हिंदी की वैश्विक स्थिति पर केंद्रित राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया गया। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की हिंदी अध्ययनशाला और पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला द्वारा हिंदी की वैश्विक स्थिति पर केंद्रित राष्ट्रीय परिसंवाद के मुख्य अतिथि वक्ता बी.के. बिड़ला महाविद्यालय, कल्याण, मुंबई के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. श्यामसुंदर पांडेय थे। अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने की। कार्यक्रम में प्रो. गीता नायक, प्रो. जगदीश चंद्र शर्मा, डॉ. प्रतिष्ठा शर्मा, डॉ. सुशील शर्मा, डॉ. अजय शर्मा आदि ने विषय के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. श्यामसुंदर पांडेय, कल्याण, मुंबई ने कहा कि दुनिया के सभी देशों में हिंदी के प्रति नवचेतना जागृत हुई है। जापान में विश्व के अनेक देशों की भाषाओं और संस्कृति का अध्ययन किया जाता है। जापान दुनिया में हिंदी को पढ़ाने वाले देशों में प्रथम स्थान रखता है। जापान में व्यापार, व्यवसाय के लिए हिंदी के अध्ययन और अध्यापन को महत्व दिया जाता है। उच्चारण एवं व्याकरण की दृष्टि से जापान के विद्यार्थी बहुत सजग दिखाई देते हैं।
अध्यक्षता करते हुए कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि विश्व फलक पर विश्व स्तर पर भारतीय संस्कृति के प्रसार में हिंदी के साथ अन्य भारतीय भाषाओं की अहम भूमिका दिखाई दे रही है।

दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली चालीस भाषाओं में एक चौथाई भाषाएँ भारतीय हैं। भारत से बाहर जिन देशों में हिन्दी का बोलने तथा अध्ययन–अध्यापन की दृष्टि से प्रयोग होता है, उन्हें हम पाँच प्रवर्गों में बांट सकते हैं। सभी क्षेत्रों में हिंदी अलग-अलग प्रयोजनों और आकांक्षाओं की पूर्ति में योगदान दे रही है। सूचना-संचार और भूमंडलीकरण के दौर में विश्वभाषा हिन्दी निरन्तर नई सम्भावनाओं के साथ अग्रसर है। इसे विश्वभाषा की प्रतिष्ठा दिलाने में विश्वभर में फैले चार करोड़ से अधिक भारतवंशियों की अविस्मरणीय भूमिका रही है।

प्रो. गीता नायक ने कहा कि हिंदी को विश्व फलक पर प्रतिष्ठित करने में विदेश के हिंदीसेवियों का अविस्मरणीय योगदान रहा है। हिंदी व्यापार एवं व्यवसाय के साथ दुनिया को परस्पर जोड़ने का कार्य कर रही है। डॉ. श्यामसुंदर पांडेय, मुंबई में उनकी और प्रो. हिदेआकी इशिदा की पुस्तक जापान में हिंदी के पहरुए की प्रति विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा एवं प्रो. गीता नायक को अर्पित की। इस पुस्तक में जापान में हिंदी शिक्षण, अनुसंधान, भारत-जापान के आपसी संबंध, अनुवाद आदि अनेक विषयों पर महत्वपूर्ण आलेख संकलित किए गए हैं। प्रो. जगदीश चंद्र शर्मा, डॉ. प्रतिष्ठा शर्मा, डॉ. सुशील शर्मा, डॉ. अजय शर्मा आदि ने भी परिसंवाद में विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन प्रो. जगदीश चंद्र शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ. प्रतिष्ठा शर्मा ने किया। इस अवसर पर अनेक शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *