पुणे, महाराष्ट्र में आयोजित समारोह में विद्वानों को अर्पित किए गए सन्त कबीर राष्ट्ररत्न सम्मान
शिक्षक संचेतना के सन्त कबीर विशेषांक का हुआ लोकार्पण
पुणे। पूना कॉलेज, पुणे एवं राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, महाराष्ट्र राज्य इकाई द्वारा राष्ट्रीय कबीर जयंती समारोह का आयोजन पूना कॉलेज के सभागार में किया गया। कार्यक्रम में संत कबीर दास के साहित्य की वर्तमान में प्रासंगिकता पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं कवि सम्मेलन के साथ विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देने वाले साहित्यकार, शिक्षाविद एवं समाजसेवियों को राष्ट्ररत्न सम्मान से अलंकृत किया गया। पुणे, महाराष्ट्र में प्रातः काल आयोजित उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि बैंक ऑफ महाराष्ट्र के उप महाप्रबंधक डॉ. राजेन्द्र श्रीवास्तव, मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। विशिष्ट अतिथि मेजर संजय मिश्र, बरेली, उत्तर प्रदेश, पूना कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आफताब अनवर बेग, सम्पादक अशोक अग्रवाल, पुणे एवं रणजीत सिंह अरोड़ा, पुणे थे। अध्यक्षता संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रजकिशोर शर्मा ने की।
कार्यक्रम में देश के प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं संस्कृति कर्मियों को राष्ट्ररत्न सम्मान से अलंकृत किया गया। इस कार्यक्रम में प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा को सन्त कबीर राष्ट्ररत्न साहित्य सम्मान, प्राचार्य डॉ. आफताब अनवर शेख, पुणे, ब्रजकिशोर शर्मा एवं प्रभु चौधरी को सन्त कबीर राष्ट्ररत्न शिक्षा सम्मान, एम.एल. फुलपगारे, झाबुआ को सन्त कबीर राष्ट्ररत्न समाजसेवा सम्मान, डॉ. शहनाज शेख, नांदेड़, शैली भागवत, इंदौर एवं डॉ. अरुणा राजेन्द्र शुक्ल, नांदेड़ को सन्त कबीर राष्ट्ररत्न नारी शिक्षा सम्मान अर्पित किया गया। कार्यक्रम के अतिथियों मेजर संजय मिश्र, बरेली, बैंक ऑफ महाराष्ट्र के उप महाप्रबंधक डॉ. राजेन्द्र श्रीवास्तव, सम्पादक अशोक अग्रवाल, पुणे द्वारा उन्हें सम्मान स्वरूप अंग वस्त्र, प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न एवं पुष्पगुच्छ अर्पित किए गए।
रविवार, 4 जून 2023 को सम्पन्न कार्यक्रम में शिक्षक संचेतना के सन्त कबीर विशेषांक का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। विमोचन प्रधान संपादक सुवर्णा जाधव और डॉ. प्रभु चौधरी ने करवाया। कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ. आफताब अनवर शेख षष्ठीपूर्ति गौरव पत्र का लोकार्पण अतिथियों ने किया। समारोह के मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने व्याख्यान में कहा कि कबीर तमाम तरह के मत मतांतर, वाद विवादों से ऊपर उठाकर हमें मनुष्य होने और जीवन के सत्य को जान लेने का आह्वान करते हैं। उनका यह सन्देश जीवन में उतरने पर कुछ भी शेष नहीं बचता। मन गंगा की तरह निर्मल हो जाता है। भक्त और भगवान की स्थिति बदल जाती है। कबीर आज अधिक प्रासंगिक हैं, जो बाहरी विभेदों, दूरियों और अहंकार से मुक्त कर वास्तविक लोक धर्म का मार्ग सुझाते हैं। वे भौतिकता की अंधी दौड़ में जीवन के मूलार्थ को दिखाते हैं।
मुख्य अतिथि बैंक ऑफ महाराष्ट्र के उप महाप्रबंधक राजेंद्र श्रीवास्तव, पुणे ने कहा कि कबीर का योगदान बहुआयामी है। पूरी दुनिया में अंधविश्वास बढ़ रहा है, उसे व्यवसाय बनाया जा रहा है। ऐसे में कबीर की जरूरत बढ़ती जा रही है। दुनिया पहले से बेहतर हो, यह कबीर सिखाते हैं। हर काल में कबीर की जरूरत है। मेजर से संजय मिश्रा ने कहा कि कबीर महान क्रांतिकारी थे। उन्होंने समाज को एक करने में अविस्मरणीय योगदान दिया। लेखक रणजीत सिंह अरोड़ा, पुणे ने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब में कबीर वाणी को महत्वपूर्ण स्थान मिला है, जिसके माध्यम से वह बहुत बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंची। कबीर बीजक एवं वाणी को प्रामाणिकता और विशुद्धता के साथ गुरु ग्रंथ साहिब में सुरक्षित रखा गया है। सिख समुदाय कबीर को उसी प्रकार का सम्मान देता है, जैसे गुरुओं को।
अध्यक्षीय उद्बोधन में ब्रजकिशोर शर्मा ने कहा कि हमें क्या करना है, यह कर्तव्य बोध कबीर जगाते हैं। आधुनिक सभ्यता मनुष्य को लील रही है। इंसानियत और संवेदनाओं को जीवित रखने के लिए कबीर की आवश्यकता है। लोग आत्म केंद्रित हो रहे हैं, इस स्थिति को बदलने में कबीर वाणी महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है। प्राचार्य डॉ. आफताब अनवर शेख, पुणे ने कहा कि कबीर वाणी को सुनकर हम जीवन में बदलाव ला सकते हैं। महाविद्यालय द्वारा कबीर वाणी को लेकर वेबसाइट बनाई जाएगी। धर्म सभी को जोड़ने के लिए बना है तोड़ने के लिए नहीं, कबीर वाणी इस बात का संदेश देती है। राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश भर से आए वक्ताओं ने कबीर वाणी के विविध पक्षों पर शोधपत्रों का वाचन किया। इनमें डॉ. रजिया शेख, नांदेड़, यशवंत भंडारी, झाबुआ, डॉ. अरुणा राजेंद्र शुक्ला, नांदेड़, सोमप्रकाश दुबे, पुणे, डॉ. उर्मिला पोरवाल, बेंगलुरु, एम.एल. फुलपगारे, झाबुआ, डॉ. मस्तान शाह, गोंदिया आदि सम्मिलित थे।
इस अवसर पर सुवर्णा जाधव की अध्यक्षता में आयोजित कवि सम्मेलन में देश के विभिन्न क्षेत्रों आए कवियों ने कविता पाठ किया। इन कवियों में बालासाहब तोरस्कर, ठाणे, यशवंत भंडारी यश, झाबुआ, दीपिका कटरे, पुणे, डॉ. शाकिर शेख, पुणे, डॉ. अरुणा राजेन्द्र शुक्ला, डॉ. शहनाज शेख, डॉ. रजिया शेख, नांदेड़, एम.एल. फुलपगारे, झाबुआ, शैली भागवत, इंदौर आदि शामिल थे। प्रारम्भ में स्वागत भाषण राष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने दिया। कार्यकारी अध्यक्ष सुवर्णा जाधव, पुणे ने कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत की। अतिथि परिचय डॉ. शाकिर शेख पुणे ने दिया। कार्यक्रम में सम्मिलित साहित्यकारों और शोधकर्ताओं को प्रतीक चिह्न, अभिनन्दन पत्र एवं संगोष्ठी के प्रमाण पत्र अर्पित किए गए। उद्घाटन समारोह का संचालन शैली भागवत ने किया। आभार प्रदर्शन बालासाहेब तोरस्कर ने किया। सरस्वती वंदना श्वेता मिश्र, राष्ट्रीय सचिव ने की। राष्ट्रीय संगोष्ठी का संचालन डॉ. शहनाज शेख, नांदेड़ एवं कवि सम्मेलन का संचालन श्वेता मिश्र, पुणे ने किया। अंत में आभार प्रदर्शन संस्था के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने किया।