राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना का राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी संपन्न

उज्जैन। साहित्य, शिक्षा एवं संस्कृति की त्रिवेणी में समाज सेवा के साथ चारो दिशाओं में राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना अपने नाम के अनुसार सम्पूर्ण भारत में शिक्षक-साहित्यकारों की प्रतिभाओं का मूल्यांकन करते हुए उन्नयन एवं अभिनंदन का कार्य कर रही है। उपर्युक्त सारगर्भित उद्बोधन राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के प्रदेशाध्यक्ष यशवंत भण्डारी ‘यश‘ झाबुआ ने मुख्य अतिथि के रूप में नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली इकाई मध्यप्रदेश की संगोष्ठी सरस्वती शिशु मंदिर सरदारपुर जिला धार म.प्र. में दिया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता डॉ. प्रभु चौधरी उज्जैन प्रदेश संयोजक नागरी लिपि परिषद म.प्र. ने बताया कि विश्व में हिन्दी बोलने वाले सभी देशों में है। जो नागरी लिपि में लेखन भी करते है विदेश के लगभग 160 देशो में हिन्दी का विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयो तथा विद्यालयो में अध्यापन होता है। हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिन्दी की व्यापकता और लोकप्रियता के कारण राष्ट्रीय आंदोलन में भाषा के रूप हिन्दी को ही स्वीकार्य किया था। गांधी जी हमेशा हिन्दी भाषा एवं नागरी लिपि के समर्थक रहे।

द्वितीय सत्र में काव्य गोष्ठी का शुभारम्भ धार के बांसुरी वादक अमर सिंह गुनेर की मधुर आवाज में बांसुरी वादन से किया। सर्वप्रथम मालवी लोकगीत कवयित्री मानकुंवर राठौड एवं शिक्षिका संगीता परमार ने भजन की प्रस्तुती दी। प्रदेश उपाध्यक्ष एवं कवयित्री डॉ. कृष्णा जोशी ने राष्ट्र वंदना का गीत सुनाया। अभिभाषक डॉ. राहूल व्यास ने मातृभूमि की अर्चना की। प्रदेश महासचिव डॉ. अरूणा सराफ ने मधुमास कविता कितने मधुमास है, बीते कितने और बिताने है। शिक्षिका एवं कवयित्री हंसा गुनेर ने देशभक्ति गीत एवं एम.एल. फुलपगारे ने निमाडी कविता में मां नर्मदा का वर्णन किया। वरिष्ठ कवि जयंत बैरागी ने हिन्दी भाषा सहज सरल पर कविता सुनाई।

राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी के शुभारम्भ में वरिष्ठ कवि यशवंत भण्डारी ‘यश‘ की नवीन पुस्तक मेंरे मुक्तक का विमोचन अतिथियो एवं संस्था के पदाधिकारियों ने किया। पुस्तक के संदर्भ में भण्डारी ने बताया। काव्य गोष्ठी में प्रतिमा सिंह कवयित्री संचालक ने अपनी स्वरचित कविता राधा और मुरली में सुनाया कि जब मुरली की मधुर तान राधा के कानो पर पड़ती है। प्रेम मगन होकर अधीर, वह कृष्ण की राह को चलती है। बार-बार कान्हा से यही प्रार्थना करती है, मुरली ना छेड़ा करो ये मुझे मेरी सौतन लगती है।

समारोह के अध्यक्ष संजय दीक्षित ने कहा कि हिन्दी वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में विशेष पहचान बनाने में सफल हुई। इसी तरह देवनागरी लिपि भी समर्थ एवं सार्वभौमिक लिपि है। विशिष्ट अतिथि ज्योति पंवार पार्षद रही। समारोह के अंत में राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर एम.एल. फुलपगारे (झाबुआ) की नियुक्ति की घोषणा करते हुए राष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने अभिनंदन किया। गोष्ठी का सफल काव्यमयी संचालन राष्ट्रीय सचिव प्रतिभा सिंह, शिक्षिका/कवयित्री सरदारपुर ने किया। आभार समारोह के आयोजक ब्रजेन्द्र सिंह कुशवाह ने माना।

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