हिंदी कविता के उत्सव पुरुष हैं नरेश मेहता : राजेश जोशी

कोलकाता 15 फरवरी, 2022, हिंदी विभाग, खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज द्वारा नरेश मेहता के जन्मशताब्दी के अवसर पर ‘नरेश मेहता : सृजन एवं चिंतन’ विषय पर राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत पंकज कुमार सिंह द्वारा नरेश मेहता की एक कविता के संगीतमय प्रस्तुति के साथ हुई। अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए डॉ. शम्भुनाथ ने कहा कि नरेश मेहता का साहित्य आधुनिकता बोध का है। नरेश मेहता की वैष्णवता धार्मिक नहीं है। उनके पूरे लेखन में वैयक्तिक आत्मपीड़ा की वैष्णवता देखी जा सकती है। उनके काव्य में प्रश्नाकुलता की संस्कृति दिखती है।

चर्चित कवि राजेश जोशी ने कहा कि नरेश मेहता गद्य के शैव हैं और पद्य के वैष्णव हैं। वे हिंदी कविता के उत्सव पुरुष हैं। नरेश मेहता के साहित्य में एक ओर धार्मिक आरण्यकता है तो दूसरी ओर साहित्यिक नगरीयता भी है। नरेश मेहता का साहित्य भारतीय ज्ञान परंपरा से गहरे संबद्ध है, जिसमें वैष्णवता का भाव प्रबल रूप में उपस्थित है। चर्चित युवा कवयित्री रश्मि भारद्वाज ने कहा कि नरेश मेहता वैष्णवता के व्याख्याकार होने के बावजूद पूर्वाग्रह से मुक्त स्त्री छवि को गढ़ते हैं। नरेश मेहता की कविताओं की पृष्ठभूमि मिथकीय होते हुए भी समकालीन संदर्भो को उद्घाटित करती हैं।

प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि नरेश मेहता अपने समय और समाज की धड़कन को गहरे महसूस करते हैं।वे पौराणिक कथाओं पर आधारित काव्य को आधुनिक संदर्भों से जोड़कर देखते हैं। आधुनिक हिंदी कविता में वे प्रसाद की परंपरा को आगे बढ़ाते हैं। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रो. मधु सिंह एवं राहुल गौड़ ने तथा धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष डॉ. शुभ्रा उपाध्याय ने दिया। इस संगोष्ठी में सुदूर नार्वे और देश के अलग-अलग हिस्सों से सैकड़ों साहित्यप्रेमियों ने सहभागिता की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

17 − thirteen =