मेरी तन्हाई है (गजल) : पारो शैवलिनी

मेरी तन्हाई है

हर तरफ गम ही गम
रुसवाई ही रुसवाई है।
तेरी यादें हैं, मैं हूं और
मेरी तन्हाई है।।

चांद नहीं आता है नजर
मुझे इस चांदनी में
चांदनी रात बनी आज
फिर हरजाई है।।

मैं अलग हूं, जमाने से
जो ये कहते हैं, झूठे हैं
यहां तो हर इन्सां बना
खुद में तमाशाई है।।

जल उठा दिल मेरा
उससे धुआं भी ना हुआ
ये कैसी आग है और
किसने ये लगाई है।।

मेरी आंखों ने जो कुछ भी है
देखा अबतक
वक्त ने वक्त को
हर वक्त ही दोहराई है।।

पारो शैवलिनी

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