वाशिंगटन : दुनिया में जब कोरोना फैला तो सवाल खड़ा हुआ- क्या मां के दूध से बच्चों में कोरोना फैल सकता है? वहीं, करीब एक साल बाद जब वैक्सीनेशन शुरू हुआ तो सवाल खड़े होने लगे कि क्या वैक्सीन से बनने वाले एंटीबॉडीज मां के दूध से बच्चों में जा सकते हैं? क्या एंटीबॉडीज वाली मां का यह दूध नवजातों को कोरोना से बचा सकता है?
रिसर्चर्स के कई समूहों ने मां के दूध की जांच की, मगर उन्हें उसमें वायरस का कोई निशान तो नहीं मिला। मिले तो सिर्फ एंटीबॉडीज। अमेरिका में कम से कम 6 रिसर्चर के अलग-अलग रिसर्च से साबित हुआ कि कोरोना वैक्सीन लगवाने वाली महिलाओं के शरीर में बने एंटीबॉडीज स्तनपान के जरिए उनके बच्चों तक पहुंच गए। इससे काफी हद तक साफ हो गया कि मां का दूध बच्चों को इन्फेक्शन से बचा सकता है।
रिसर्चर्स के सामने बड़ा सवाल था कि क्या कोरोना वैक्सीन से बनने वाले एंटीबॉडीज भी मां के दूध से बच्चों तक पहुंच सकते हैं? क्योंकि दुनिया के किसी भी वैक्सीन ट्रायल में गर्भवती या दूध पिलाने वाली मां को शामिल नहीं किया गया था, इसलिए रिसर्चर्स को सबसे पहले दूध पिलाने वाली ऐसी महिलाएं तलाशनी थी, जिन्हें वैक्सीन लगाई जा सकती थी।
न्यूयॉर्क के मैनहटन के माउंट सिनाई में इकॉन स्कूल ऑफ मेडिसिन के एक मानव दुग्ध रोग विशेषज्ञ रेबेका पॉवेल ने एक फेसबुक ग्रुप के जरिए सैकड़ों डॉक्टरों और नर्सों को अपना दूध रिसर्च के लिए देने को तैयार कर लिया। रेबेका ने 10 महिलाओं के दूध का विश्लेषण किया, जिन्हें वैक्सीन की दूसरी डोज लगे 14 दिन बीत चुके थे।
इनमें से 6 महिलाओं को फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन लगवाई थी और चार ने मॉडर्ना वैक्सीन। रिसर्च में पता चला कि इन सभी महिलाओं के दूध में एंटीबॉडी अच्छी तादाद में मिले। इसी तरह दूसरे रिसर्चर्स को भी करीब-करीब यही नतीजे मिले।