- मातृ-दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय कवि संगम की लाजबाब काव्य संगोष्ठी
कोलकाता : राष्ट्रीय कवि संगम पश्चिम बंगाल की “दक्षिण 24 परगना” जिला इकाई द्वारा मातृ-दिवस के उपलक्ष्य में प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. गिरिधर राय की अध्यक्षता में मातृ दिवस पर भव्य काव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में शहर के कई वरिष्ठ तथा कनिष्ठ कवियों ने माँ पर केन्द्रित अपनी स्वरचित रचनाओं की बेहतरीन प्रस्तुति देकर काव्य की गंगा बहा दी। मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थी प्रान्तीय उपाध्यक्ष श्रीमती श्यामा सिंह और विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे प्रांतीय महामंत्री राम पुकार सिंह।
कार्यक्रम की शुरुआत हुई सरस्वती वंदना से जिसे प्रस्तुत किया, मधुर कंठ की धनी कामायनी संजय ने।वीर बहादुर सिंह की रचना रही-“हिंदी मेरी मां तो बंगला मेरी मासी है, गर्व हैं हमें हम भारत में बंगाल के निवासी है।” वही अनूप भदानी ने कहा- ” तू जननी, तू जीवन, तुझसे यह संसार है। तू ममता, तू करूणा, तुझसे ही सच्चा प्यार है।”
प्रांतीय मीडिया प्रमुख देवेश मिश्र ने भारत माँ को समर्पित अपने धधकती हुई कविता प्रस्तुत की। नागेंद्र कुमार दुबे की कविता थी- “शिशु से गिरने से लेकर उठकर चलने तक, जो पुलकित होती है वह माँ है।श्यामा सिंह ने मां पर एक छोटी किंतु सारगर्भित कविता – “भले हो देह माटी की हृदय अपना खरा कुंदन/बढ़ाया हाथ है हमने सुना जब भी कहीं क्रंदन।”
सुनाई तथा उपस्थित नवयुवक कवियों का उत्साहवर्धन किया। रामपुकार सिंह ने अपनी लाजवाब गजल – “माँ के बिना इस सृष्टि की तो कल्पना ही है अधूरी/ सबसे अलग सबसे जुदा सबसे सही में खास है माँ।” सुनाकर सभी की वाह वाही लूटी। अन्य रचनाकारों में अक्षय गिरि, प्रदीप जायसवाल और हर्ष वर्मा प्रमुख रहे। अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉ.राय ने नये कवियों को मार्गदर्शित किया तथा उनकी रचनाओं की प्रशंसा की।
उन्होंने अपनी रचना – ” माँ के चरणों में स्वर्ग बसा है/ अभागे है वे जो देख नही पाते हैं। ” सुनाकर सभी को भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम का कुशल संचालन और संयोजन किया जिला मंत्री विजय शर्मा विद्रोही ने तथा धन्यवाद ज्ञापित किया जिला उपाध्यक्ष नागेंद्र कुमार दूबे ने।