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विनय कुमार, कोलकाता। कतर वर्ल्ड कप में अपने शानदार प्रदर्शन से इतिहास रचने वाली मोरक्को एक फिर बड़ा उलटफेर कर फाइनल में जगह बनाने के लिए तैयार है। टीम में चेल्सी क्लब के हकीम जियेच और पेरिस सेंट-जर्मेन के अशरफ हकीमी जैसे अनुभवी एवं स्टार खिलाड़ियों की बदौलत मोरक्को टूर्नामेंट के सेमीफ़ाइनल तक पहुँचा है। मोरक्को ना सिर्फ वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में पहुंचने वाली पहली अफ्रीकी टीम है, बल्कि इसने अपने दमदार अभियान में विपक्षी टीम के किसी खिलाड़ी को गोल करने का मौका भी नहीं दिया। सेमीफाइनल में मोरक्को का मुकाबला शानदार फार्म में चल रहे फ्रांस से होगा। मोरक्को के सामने एम्बापे, ओलिवर जिरू और ग्रीजमान जैसे खिलाड़ी को रोकने की चुनौती होगी। टूर्नामेंट में एम्बापे 5 एवं जिरू 4 गोल दाग चुके हैं।
मजबूत डिफेंस है मोरक्को की सफलता का राज : मैदान में मज़बूत डिफेंस और मेहनत से टीम ने ये सफलता हासिल की। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभी तक कतर वर्ल्ड कप में किसी भी विपक्षी टीम का खिलाड़ी मोरक्को के खिलाफ गोल नहीं कर सका है। टीम ने सिर्फ़ कनाडा के खिलाफ खुद ही गोल कर दिया था। मोरक्को, इस पूरे टूर्नामेंट में फुटबॉल प्रशंसकों की सबसे अधिक समर्थन और प्यार पाने वाली टीमों में शामिल हो गई है। फैंस को उम्मीद है कि अन्य मैचों की तरह सेमीफाइनल में भी मोरक्को अपनी मजबूत डिफेंस की बदौलत एक बार फिर उलटफेर कर सकता है।
मोरक्को ने दिलाई इटली की याद : भले ही वर्ल्ड कप में इटली न खेल रहा हो लेकिन मोरक्को ने अबतक जिस तरह प्रदर्शन किया है उससे इटली की कमी महसूस नहीं होने दी। साल 2006 में इटली के बाद से कोई टीम इस तरह के डिफेंस के साथ वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में नहीं पहुंची है। यह बात भी गौर करने योग्य है कि इटली के डिफेंस में गोलकीपर जियानलुइगी बफन, फैबियो कैनावारो, मार्को मातेराज़ी और जियानलुका ज़ांब्रोट्टा जैसे खिलाड़ी थे, जबकि उनकी मिडफील्ड गेनारो गट्टूसो और मौरो कमोरानेसी जैसे खिलाड़ियों से सजी थी।
बेल्जियम, स्पेन और पुर्तगाल हुए धराशायी : बेल्जियम और स्पेन जैसी बड़ी टीमों को धराशाई करने वाली मोरक्को शानदार डिफेंस के बूते ही फुटबॉल के सबसे बड़े टूर्नामेंट जीतने की दावेदार बन गई है। इसका श्रेय मोरक्को के कोच वालिद रेग्रागुई को भी जाता है, जिन्होंने टीम को एक अभेद्य किले में बदल दिया है। स्पेन के खिलाफ सुपर-16 मैच में सिर्फ 23 प्रतिशत समय के लिये ही मोरक्को के पास बॉल रही। वहीं, बॉल पर 73 प्रतिशत कब्जा रखने के बावजूद स्पेन गोल पर सिर्फ दो बार ही निशाना लगा सका। वहीं, विश्व की नंबर दो टीम बेल्जियम भी इस किले को भेदने में नाकाम रही। पुर्तगाल के विरुद्ध क्वार्टरफाइनल में भी मोरक्को का खेल बहुत आक्रामक नहीं था, लेकिन अभेद्य रक्षण और एन-नेसरी का शुरुआती गोल उन्हें जीत दिलाने के लिये काफी रहा।
एकजुटता से टीम का प्रदर्शन निखरा : मोरक्को के वर्ल्ड कप अभियान से पहले उनकी एकता को लेकर कई सवाल उठ रहे थे। रेग्रागुई की 26 सदस्यीय-स्क्वाड में सिर्फ 12 खिलाड़ी मोरक्को में जन्मे थे, जबकि अन्य 14 अलग-अलग यूरोपीय देशों से आकर अपनी मातृभूमि के लिये खेल रहे थे। इस पर रेग्रागुई ने कहा था कि मोरक्को ने “एक परिवार की तरह” वर्ल्ड कप में सब कुछ झोंक दिया। यहां तक पहुंचने के लिए हमने काफ़ी मेहनत की और हमें इसका फल मिला। हम अपना सर्वश्रेष्ठ देने आए हैं।