पुस्तक विमोचन एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया
उज्जैन । 5 मार्च शनिवार को राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की राष्ट्रीय इकाई महाराष्ट्र के द्वारा प्रतिवर्षानुसार अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अन्तर्गत सावित्रीबाई फुले की स्मृति में मातृशक्ति सम्मान समारोह, पुस्तक विमोचन एवं संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन पुना महाविद्यालय पूणे में सम्पन्न हुआ। राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय महाराष्ट्र की संत परम्परा का सामाजिक-साहित्यिक योगदान था।जानकारी देते हुए संस्था के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने बताया कि समारोह में संस्था द्वारा लगातार पंचम वर्ष में महिलाओं को शिक्षा, साहित्य समाजसेवा में श्रेष्ठ कार्यो के लिये 51 मातृशक्ति सम्मान राष्ट्र की प्रमुख वीरांगनाओं, कवयित्री, समाजसेवी हस्तियों के नाम से प्रदान किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘‘सावित्रीबाई फुले से आज तक महिला सशक्तिकरण में शिक्षा, साहितय एवं संस्कृति के साथ सामाजिक-आर्थिक विकास पर परिचर्चा की गई।
संगोष्ठी की मुख्य अतिथि डॉ. लीना मेंहदले(वरिष्ठ साहित्यकार, सेवानिवृत्त भारत सरकार की प्रशासनिक अधिकारी, पुणे महा.), विशिष्ट अतिथि डॉ. अनसूया अग्रवाल (राष्ट्रीय संयोजक प्राचार्य शासकीय महाविद्यालय महासमुंद छग), अध्यक्षता सुवर्णा जाधव (राष्ट्रीय मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष), मार्गदर्शक मुख्य वक्ता डॉ. शहाबुद्दीन शेख (पूर्व प्राचार्य राष्ट्रीय मुख्य संयोजक), वक्ता डॉ. प्रतिभा येरेकार, डॉ. मुक्ता कौशिक, डॉ. दीपिका सुतोदिया रही। संगोष्ठी की प्रस्तावना डॉ. प्रभु चौधरी, स्वागत भाषण भुवनेश्वरी जायसवाल, संचालक रोहिणी डावरे एवं धन्यवाद ज्ञापन कविता राजपूत ने किया। समारोह आयोजक डॉ. भरत शेणकर, डाक्टर मोहम्मद शाहिद शेख, कुसुमसिंह लता, डॉ. रजिया शेख, जया आनंद, सुधा जैन ललिता, अध्यापक डॉ. शहनाज शेख, ललिता घोड़के, डॉ. बालासाहेब तोरस्कर, डॉ. अशोक गायकवाड आदि रहे।
इस मौके पर समारोह में राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के महासचिव एवं लेखक डॉ. प्रभु चौधरी की ‘देवनागरी लिपिः तब से अब तक‘ पुस्तक का मराठी संस्करण का लोकार्पण भी अतिथियो के हाथो हुआ। पुस्तक की मराठी अनुवादक सुवर्णा जाधव हिन्दी-मराठी की प्रसिद्ध शिक्षाविद् लेखिका रही। पुस्तक का प्रकाशन मराठी साहित्य परिषद्, मुम्बई द्वारा किया गया है। उल्लेखनीय यह है कि देवनागरी लिपि की पुस्तक के लेखक डॉ. प्रभु चौधरी के देश की विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित लेखो का संकलन लेख होने से हिन्दी विभाग के विद्यार्थियों में प्रसिद्ध हो रही है। जिसे नागरी लिपि परिषद् के राष्ट्रीय अधिवेशन पांडिचेरी में गत माह पुरूस्कृत भी किया है। मराठी साहित्य परिषद् द्वारा लेखक की पुस्तक को मराठी भाषा के प्रकाशित किया है। पुस्तक का अनुवाद बंगाली, गुजराती, कन्नड़ में भी होगा। पुना कॉलेज पूणे में पुस्तक पर समीक्षात्मक टिप्प्णी वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं नागरी लिपि परिषद् के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन शेख विचार व्यक्त करेंगे। इस अवसर पर संचेतना समाचार पत्र के षष्ठम् अंक का विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया जायेगा।
समारोह के प्रथम सत्र में महाराष्ट्र की संत परम्परा का सामाजिक-साहित्यिक योगदान विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि शिक्षाविद् वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुनील देवधार, अध्यक्षता प्राचार्य आफताब अनवर शेख, मुख्य वक्ता राष्ट्रीय मुख्य संयोजक डॉ. शहाबुद्दीन शेख, प्रमुख वक्ता डॉ. बालासाहेब तोरस्कर, डॉ. अरूणा राजेन्द्र शुक्ल, डॉ. शहनाज अहमद शेख, सुवर्णा जाधव रहे। संस्था प्रतिवेदन भुवनेश्वरी जायसवाल तथा संगोष्ठी की प्रस्तावना प्रदेशाध्यक्ष डॉ. भरत शेणकर प्रस्तुत की। संचालन डॉ. रजिया शेख ने किया। संगोष्ठी के संयोजक डॉ. मोहम्मद शाकिर शेख, राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता डॉ. मुक्ता कौशिक, राष्ट्रीय संयोजक डॉ. अनसूया अग्रवाल, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. दीपिका सुतोदिया, प्राध्यापिका रोहिणी डावरे, कविता राजपूत, डॉ. प्रभा शर्मा, कुसुमसिंह ‘लता‘, ललिता अध्यापक, डॉ. संगीता पाल, सविता इंगले, प्रतिभा मगर, सीमा निगम, अलका येवले, डॉ. रीना सुरडकर, सुजाता पाटील, डॉ. रूपा व्यास, उपमा आर्य, ज्योति जलज, डॉ. अनुराधा सिंह, ज्योति मोरे, डॉ. प्रवीणबाला, ज्योति चौहान आदि ने भी अपने शोध पत्र का वाचन किया।