नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय चुनावी बांड से राजनीतिक दलों को चंदा दिए जाने के कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को शीघ्र सुनवाई के लिए सहमत हो गया। मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की शीघ्र सुनवाई की अर्जी स्वीकार कर ली। न्यायमूर्ति रमना ने शीघ्र सूचीबद्ध करने के लिए सहमति व्यक्त करते हुए कहा,” हम इस मामले पर सुनवाई करेंगे।” भूषण ने ‘विशेष उल्लेख’ के दौरान गुहार लगाते हुए कहा कि कोलकाता की एक कंपनी द्वारा 40 करोड़ रुपए का चंदा दिए जाने की खबर चौंकाने वाली है।

भूषण ने किसी प्रकार के लाभ के लिए चंदे देने को लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया और गुहार लगाते हुए कहा कि चुनावी बांड के जरिए राजनीतिक दल को चंदा दिए जाने का यह मामला संदिग्ध है। लिहाजा चुनावी बांड से संबंधित उनकी याचिका पर अति शीघ्र सुनवाई की आवश्यकता है। गौरतलब है कि शीर्ष अदालत के तत्कालीन न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने 27 मार्च 2021 को स्वयंसेवी संस्था ‘एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ की ओर से श्री भूषण द्वारा दायर एक आवेदन को खारिज कर दिया।

स्वयंसेवी संस्थान ने कानून पर कई तरीके के सवाल उठाते हुए पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम अभी राज्यों में विधानसभा चुनावों के बीच एक अप्रैल से चुनावी बांड के नए सेट की बिक्री पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी। न्यायमूर्ति बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि याचिकाकर्ता की यह आशंका गलत थी कि विदेशी कॉरपोरेट घराने बांड खरीद सकते हैं तथा देश में चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास कर सकते हैं।

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