इम्फाल। हिंदू अखबार के पहने पन्ने पर छपी खबर के मुताबिक़, एक बहुत असाधारण कदम उठाते हुए मणिपुर पुलिस ने देश के सबसे पुराने अर्धसैनिक बल असम राइफल्स के ख़िलाफ ‘ड्यूटी में बाधा डालने’ और ‘आपराधिक धमकी’ के आरोप में एक आपराधिक मामला दर्ज किया है। पुलिस का आरोप है कि असम राइफल्स की 9वीं बटालियन के कर्मचारियों ने ‘कुकी उग्रवादियों को बचकर सुरक्षित क्षेत्रों में भागने का मौका” दिया।
तीन मई से मणिपुर में शुरू हुई जातीय हिंसा के बाद से ही घाटी में मैतेई सिविल सोसायटी और बीजेपी के विधायक असम राइफल्स पर लगातार सवाल उठा रहे हैं। 7 अगस्त को बीजेपी के राज्य नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि “असम राइफल्स केवल एक पक्ष का समर्थन कर रही है और पक्षपातपूर्ण भूमिका निभा रही है।”
हरियाणा के तीन ज़िलों में 50 पंचायतों ने लगाई मुस्लिम ठेले वालों पर रोक
चंडीगढ़। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 31 जुलाई को नूंह में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद से दक्षिण हरियाणा के रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और झज्जर की 50 पंचायतों ने चिट्ठियां जारी करते हुए किसी भी मुलमान रेहड़ी वाले या सामान बेंचने वाले के पंचायती इलाके में घुसने पर रोक लगा दी है।
सरपंच की ओर से हस्ताक्षर की गई चिट्ठियों में ये भी लिखा है कि इस इलाके में जो मुसलमान रह रहे हैं वो अपने पहचान पत्र पुलिस को दें। इनमें से कई गांव ऐसे हैं, जिनमें शायद ही कोई मुसलमान परिवार रहता हो। कुछ गांवों में इक्का-दुक्का मुसलमान परिवार रहते हैं जो यहां कई पुश्तों से रहते आए हैं। चिट्ठी में लिखा है- “हम किसी की धार्मिक भावनाएं आहत नहीं करना चाहते।”