नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनाव एजेंट रहे एस. के. सुपियन को हत्या के एक मामले में बुधवार को अग्रिम जमानत दे दी। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की पीठ ने सुपियन की याचिका शर्तों के साथ स्वीकार की। टीएमसी नेता सुपियन पर गत विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद नंदीग्राम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यकर्ता देवव्रत मैती की हत्या का आरोप है। इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कर रहा है। आरोपी नेता ने कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा याचिका पर सुनवाई से इनकार करने के बाद शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

सर्वोच्च न्यायालय ने चार फरवरी को याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुनवाई के दौरान टीएमसी नेता सुपियन का पक्ष रखते हुए कहा था कि उनके मुवक्किल का नाम पिछले साल मई में अधिकारियों द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी या शिकायत में नहीं था और न ही सीबीआई द्वारा दायर आरोपपत्र में उनके नाम जिक्र था। पीठ ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखने के साथ ही याचिकाकर्ता को इस मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी।

सीबीआई ने सुपियन की याचिका का विरोध करते हुए अपने हलफनामे में अदालत से कहा था कि याचिकाकर्ता ने नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को वोट देने वाले हिंदुओं को सबक सिखाने के लिए कथित तौर पर एक आपराधिक साजिश रची थी। एजेंसी ने दावा किया है कि सुपियन ने कथित तौर पर स्थानीय ग्रामीणों पर हिंसक हमले किये और इसी दौरान देवव्रत मैती की मौत हो गई।

बनर्जी नंदीग्राम विधानसभा चुनाव में अपने पूर्व सहयोगी भाजपा प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी से चुनाव हार गई थीं। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद राज्य में हुई हत्याओं और यौन उत्पीड़न की विभिन्न घटनाओं की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।

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