कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी 23 जून को बिहार के मुख्यमंत्री और जद (यू) नेता नीतीश कुमार द्वारा बुलाई गई गैर-राजग दलों की बैठक से एक दिन पहले पटना पहुंचने वाली हैं। तृणमूल कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री के 22 जून की दोपहर पटना पहुंचने की उम्मीद है और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद से उनकी मुलाकात की संभावना है। इस मुद्दे पर संभावित बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि ममता बनर्जी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि पश्चिम बंगाल में सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ गठबंधन के कारण वह राज्य में कांग्रेस को समर्थन नहीं दे पाएंगी।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि चूंकि कांग्रेस भी बैठक में मौजूद होगी, इसलिए संभावना है कि देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी का कोई प्रतिनिधि इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस के रुख पर कुछ स्पष्टीकरण मांग सकता है। उस स्थिति में पर्यवेक्षकों का मानना है कि लालू प्रसाद एक अनुभवी राजनीतिज्ञ होने के नाते और कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ बेहद अच्छे संबंध होने के कारण मध्यस्थ के रूप में कार्य कर सकते हैं।
पहले यह बैठक 12 जून को होनी थी, लेकिन बाद में इसे 23 जून तक के लिए टाल दिया गया। दरअसल, जब बिहार के उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ नीतीश कुमार ने इस महीने पश्चिम बंगाल सचिवालय में ममता बनर्जी के साथ बैठक की थी, तो उन्होंने कुमार से पटना में ही महाविपक्ष गठबंधन की बैठक बुलाने का अनुरोध किया था। बिहार के मुख्यमंत्री ने उन्हें इसका आश्वासन दिया था।
यह बैठक 23 जून को हो रही है जब पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के दिग्गज लोकसभा सदस्य अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि राज्य में कांग्रेस के लिए तृणमूल कांग्रेस भाजपा की तरह बराबर की प्रतिद्वंद्वी बनी रहेगी। उन्होंने यह भी संदेह व्यक्त किया था कि भाजपा विपक्षी गठबंधन के भीतर कुछ ट्रोजन हॉर्स भेजने की कोशिश कर रही है। चौधरी के संदेह को पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती और राज्य सदस्य बिकास रंजन भट्टाचार्य जैसे वरिष्ठ माकपा नेताओं ने भी दुहराया।