ममता ने कहा- भारत एकता और विविधताओं का देश

कोलकाता। कोलकाता स्थित राजभवन में ‘हाथे खोरी’ कार्यक्रम के पश्चिम बंगाल CM ममता बनर्जी कुछ अलग अंदाज में दिखीं। उन्होंने कहा कि मैं राज्यपाल को हमारी मातृभाषा में विशेष रुचि लेने के लिए बधाई देना चाहती हूं। हमें याद रखना चाहिए कि जब भी जहां भी रहें तो हमें स्थानीय भाषा सीखनी चाहिए। आज दुनिया में बंगाली भाषा का चलन काफी बढ़ा है। एशिया में ये भाषा दूसरे नंबर पर और दुनिया में ये पांचवें स्थान पर आती है, लेकिन हमें दूसरी भाषाएं भी सीखनी चाहिए क्योंकि भारत एकता और विविधताओं का देश है।

इस बीच पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने गुरुवार को सरस्वती पूजा के मौके पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अन्य गणमान्य लोगों की मौजूदगी में एक बच्चे को बंगाली वर्णमाला सिखाने की रस्म ‘हेत खादी’ निभाई। राज्यपाल, जिनकी मातृभाषा मलयालम है, को तीन बच्चों से बंगाली शिक्षा मिली। चंदननगर के एक कॉन्वेंट स्कूल की तीसरी कक्षा की लड़की नौ वर्षीय दीयांगशी रॉय ने बोस को ब्लैकबोर्ड पर बंगाली वर्णमाला का पहला अक्षर लिखना सिखाया था।

राजभवन फ्री प्राइमरी स्कूल की कक्षा चार की छात्राओं रंजना बिस्वास और सुभजीत धर ने उन्हें दो बंगाली शब्दों मां ‘(मां) और भूमि’ (पृथ्वी) का अर्थ समझाया। बोस ने उन्हें गुरु दक्षिणा के रूप में प्रत्येक को ड्राइंग किताबों से भरा बैग और एक चांदी का सिक्का भेंट किया। पिछले साल नवंबर में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद बोस ने एक किताब लिखने के लिए बांग्ला सीखने में अपनी रुचि व्यक्त की थी। 1977 बैच के केरल कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी के खाते में कई किताबें हैं।

बोस ने इसके बाद कहा कि आमी बांग्ला सिखबो, बांग्ला खूब सुंदोर भाषा, आमी बांग्ला के भालोबाशी। बांग्ला मानुष के आमी भालोबशी, जय बांग्ला। मैं बंगाली सीखूंगा। यह एक अच्छी भाषा है, मुझे बंगाल और इसके लोगों से प्यार है।दिलचस्प बात यह है कि ‘जय बांग्ला’ 2021 में विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला नारा है, जबकि भाजपा ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी उस नारे को आयात करके पश्चिम बंगाल को बांग्लादेश में बदलना चाहती है।

“जय बांग्ला” बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान एक लोकप्रिय नारा था। राज्यपाल ने यह भी घोषणा की कि वह राज्य में उत्कृष्ट छात्रों को एक महीने का वेतन देंगे। बंगाली सीखने की पहल करने के लिए बोस को बधाई देते हुए, बनर्जी ने कार्यक्रम को पहले मलयालम और फिर अपनी मातृभाषा में संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मैं उन्हें इस प्रयास के लिए शुभकामनाएं देती हूं। यह हमारे लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने कहा कि वह मलयालम वर्णमाला जानती हैं।

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