कोलकाता। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने रूस-यूक्रेन Russia-Ukraine War में युद्ध के कारण इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई (Medical Students) बीच में ही छोड़कर वापस लौटे छात्रों के लिए पश्चिम बंगाल के मेडिकल और इंजीनियरिंग के कॉलेजों में पढ़ाई की व्यवस्था करने का ऐलान किया। छात्रों को फीस में भी रियायत दी जाएगी। बुधवार को नेताजी इंडोर स्टेडियम में सीएम ममता बनर्जी ने यूक्रेन से वापस लौटे छात्रों के साथ वार्तालाप किया और उनकी समस्या सुनी. ममता बनर्जी ने कहा कि मेडिकल काउंसिल को इस बाबत पत्र लिखेंगे, ताकि इनके पढ़ने की व्यवस्था की जाए। इसके साथ ही मेडिकल सीट की संख्या बढ़ाने की भी फरियाद करेंगे।
इस बाबत मेडिकल कमीशन से जाकर बंगाल के अधिकारी मुलाकात करेंगे। ममता बनर्जी ने कहा कि यह युद्धकालीन व्यवस्था है। यह वर्तमान व्यवस्था को प्रभावित नहीं करेगा। सीएम ममता बनर्जी ने साफ कहा कि यदि बंगाल सरकार यह सुविधा दे रही है, तो अन्य राज्य भी निश्चित रूप से सुविधा देंगे। यदि राष्ट्रीय स्तर पर इसकी अनुमति नहीं दी जाती है, तो वह छात्रों को लेकर दिल्ली जाएंगी और फरियाद करेगी। यदि जरूरत पड़ी तो वह पीएम नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखेंगी। ममता ने कहा कि उम्मीद है कि केंद्र सरकार मानवीयता के आधार पर इन छात्रों की फिर से पढ़ाई शुरू करने की व्यवस्था लेने में मदद करेगी।
ममता बनर्जी ने कहा, “मैं यहां इंजीनियरिंग की पढ़ाई की व्यवस्था करूंगी. मैं व्यवस्था करूंगी, ताकि इसमें कम पैसे लगे। पैसों के मामले में एक सीमा तय की जाएगी. मेडिकल के अंतिम वर्ष में पढ़ने वाले छात्रों के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दी जाएगी। इंटर्नशिप की अनुमति दी जाएगी। उनकी काउंसलिंग कराई जाएगी. मेडिकल काउंसिल को पत्र लिखेंगे, ताकि चौथे और पांचवें वर्ष के मेडिकल के छात्रों को यहां इंटर्नशिप करने की अनुमति दी जाए। छठे वर्ष के छात्रों के लिए भी यही किया जाएगा। जो लोग ऑफलाइन पढ़ाई करना चाहते हैं उनके लिए हम व्यवस्था कर सकते हैं. हम ऑनलाइन व्यवस्था भी कर सकते हैं।
बनर्जी ने कहा कि मेडिकल के प्रथम, द्वितीय व तृतीय वर्ष के छात्रों को सबसे ज्यादा परेशानी है, लेकिन उनके लिए भी सरकार व्यवस्था करेगी, जो छात्र फिर से पढ़ाई शुरू करना चाहते हैं, उनके लिए विशेष व्यवस्था की जा सकती है। निजी मेडिकल कॉलेजों में द्वितीय व तृतीय वर्ष के छात्रों के लिए व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए मैं मेडिकल काउंसिल को पत्र लिखूंगी, ताकि दूसरे और तीसरे वर्ष से पहले पढ़ाई में कोई दिक्कत न हो। निजी मेडिकल कॉलेजों में सरकार को एक तिहाई सीटें मिलती हैं. इसलिए निजी निजी कॉलेजों में व्यवस्था की जाएगी।
फीस में भी रियायत दी जाएगी। राज्य सरकार इन छात्रों की सभी ट्यूशन फीस की वित्तीय लागत छात्रवृत्ति के रूप में वहन करेगी। इन छात्रों ने बड़ी रकम खर्च की है। इसलिए राज्य सरकार उन पर अब और बोझ नहीं डालना चाहती है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नारायण स्वरूप निगम और पीवी सेलिम को इस बाबत जिम्मेदारी दी है. वह राज्य सरकार की ओर से आयोग को पत्र सौंपेंगे. वे पत्र को दिल्ली ले जाएंगे।