ममता बनर्जी ने सभी केंद्रीय एजेंसियों के लिए पूर्ण स्वायत्तता की मांग की

कोलकाता । पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने सोमवार को सभी केंद्रीय जांच एजेंसियों को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त कर पूर्ण स्वायत्तता देने की मांग की। उन्होंने यहां मीडियाकर्मियों से कहा, “जिस तरह केंद्रीय जांच एजेंसियों का उपयोग केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ दल द्वारा विपक्षी नेताओं के खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध के लिए किया जाता है, वह देश की लोकतांत्रिक प्रकृति के खिलाफ है। इसलिए, मैं मांग करती हूं कि सभी केंद्रीय जांच एजेंसियों को पूर्ण स्वायत्तता दी जानी चाहिए और उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय या केंद्रीय गृहमंत्री के कार्यालय के अधिकार क्षेत्र से मुक्त कर देना चाहिए। केंद्र सरकार द्वारा इन एजेंसियों के कर्मचारियों के लिए केवल वेतन का भुगतान किया जाना चाहिए, जैसा कि स्वायत्त निकायों के मामले में होता है।” ममता ने दावा किया कि पहले कभी भी केंद्रीय एजेंसियों का इतना दुरुपयोग नहीं हुआ, जितना कि मौजूदा केंद्र सरकार ने किया है, और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव इस प्रवृत्ति के नवीनतम शिकार हैं।

मुख्यमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि ममता अपने आरोपों को कभी साबित नहीं कर सकतीं कि पश्चिम बंगाल में केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया है। उन्होंने कहा, “पश्चिम बंगाल में कलकत्ता हाईकोर्ट ने लगातार कई मामलों में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच का आदेश दिया है। इसमें भाजपा या केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है।”

इससे पहले, मुख्यमंत्री ने मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए दावा किया कि पश्चिम बंगाल विभिन्न गैर-भाजपा शासित राज्यों में पेट्रोल पर सबसे अधिक राज्य कर में छूट दे रहा है। उन्होंने कहा, “अब पेट्रोल के लिए केंद्रीय कर कटौती में 8 रुपये प्रति लीटर की कमी के बाद पश्चिम बंगाल के मामले में कुल राज्य कर कटौती 2.80 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल पर पहुंच गई है, जबकि केरल के मामले में यह 2.41 रुपये प्रति लीटर है। राजस्थान के मामले में 2.48 और महाराष्ट्र के मामले में 2.08 रुपये।” यह स्वीकार करते हुए कि भाजपा शासित राज्यों को उच्च राज्य कर छूट दी जाती है, मुख्यमंत्री ने कहा कि ये राज्य और भी अधिक छूट दे सकते हैं, क्योंकि केंद्र सरकार इन राज्यों का विभिन्न मदों के तहत पैसा बकाया नहीं रखती है, जैसा कि वह पश्चिम बंगाल जैसे विपक्ष शासित राज्य के मामले में करती है।

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