कोलकाता/नई दिल्ली। कैश-फॉर-क्वेरी मामले में लोकसभा सांसद के रूप में निष्कासित किए जाने के कुछ दिनों बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 8 दिसंबर को, सदन द्वारा अपनी आचार समिति की रिपोर्ट को अपनाने के बाद, मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था, जिसमें उन्हें अपने हित को आगे बढ़ाने के लिए व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से उपहार और अवैध संतुष्टि स्वीकार करने का दोषी ठहराया गया था। टीएमसी नेता ने आरोपों का जोरदार खंडन किया था।
अपने निष्कासन के बाद, मोइत्रा ने बिना सबूत के कार्य करने के लिए नैतिकता पैनल पर हमला किया और कहा कि यह विपक्ष को बुलडोजऱ देने का हथियार बन रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि आचार समिति और उसकी रिपोर्ट ने पुस्तक के हर नियम को तोड़ दिया।
पश्चिम बंगाल में कृष्णानगर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाली टीएमसी नेता ने कहा कि जब एथिक्स पैनल की रिपोर्ट पर विचार किया गया तो उन्हें सदन में अपना बचाव करने का मौका नहीं दिया गया। महुआ मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के मामले में शुक्रवार को ‘अनैतिक एवं अशोभनीय आचरण’ के लिए सदन की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया।
महुआ ने कहा, ‘‘आचार समिति मुझे उस बात के लिए दंडित कर रही है, जो लोकसभा में सामान्य है, स्वीकृत है तथा जिसे प्रोत्साहित किया गया है।’’ उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ पूरा मामला ‘लॉगिन विवरण’ साझा करने पर आधारित है, लेकिन इस पहलू के लिए कोई नियम तय नहीं हैं।
निष्कासन के बाद जब महुआ सदन से बाहर निकलीं तो उनके कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के कई सांसद बाहर आए। मोइत्रा ने एक भाषण पढ़ा, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि इसे सदन के पटल पर रखने का इरादा था।
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