“गिरा जहाँ पर खून वहाँ का पत्थर-पत्थर जिंदा है!
जिस्म नहीं है मगर नाम का अक्षर-अक्षर जिंदा है!
जीवन में ये अमर कहानी अक्षर अक्षर गढ़ लेना!
शौर्य कभी सो जाए तो राणा-प्रताप को पढ़ लेना!”
विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। चेतक पर सवार हो कर मुग़लों की 80000 सेना के साथ मात्र 20000 सैनिक ले कर भिड़ जाने का अदम्य, अदभुत साहस केवल महाराणा जैसे महावीर के ही बस की बात थी। भीलों के प्रिय कीका (बेटा) के अतुलनीय पराक्रम की शौर्यगाथा आज भी हर खुद्दार भारतीय की जुबां पर जिंदा है।
आधुनिक भारतीय इतिहास के महानतम योद्धा, शूरवीरता के अद्वितीय प्रतीक, स्वाभिमान और आत्मविश्वास की साक्षात प्रतिमूर्ति, एकलिंग जी के दीवान महाराणा प्रताप की जयंती पर देशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
#शत शत नमन