कोलकाता। मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच संस्थापना दिवस कार्यक्रम में आई रचनाओं की ई पत्रिका के विमोचन का कार्यक्रम 24 अगस्त की संध्या को हुआ। पत्रिका का संपादन मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच पूर्वी भारत ने किया। कार्यक्रम का आरम्भ मधु अरोड़ा जी द्वारा राष्ट्रीय गीत एवं गणेश वंदना से हुआ। सरस्वती वंदना कमल पुरोहित ने सुनाई। मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच के प्रबंधक कमल पुरोहित जो कि पत्रिका के संपादक भी हैं ने अपने उद्बोधन में कहा कि पत्रिका निकलाना बड़ी बात नहीं उसे पाठकों तक पहुँचाना बड़ी बात है। विशिष्ट अतिथि कुँवर वीर सिंह मार्तण्ड ने अपनी बात में कहा कि “पाठकों तक रचना क्यों नहीं पहुँचती इस पर मंथन करना जरूरी है।”
विशिष्ट अतिथि अंजुला सिंह भदौरिया ने पत्रिका में समाहित रचनाओं पर अपनी मिली जुली समीक्षा बताई। वहीं मगसम के राष्ट्रीय प्रभारी पश्चिम भारत ने अपनी बात में कहा कि रचनाकारों को छंद पर मेहनत भी करनी चाहिये और रचनाकारों को मंच के सभी कार्यक्रम में हिस्सा लेना चाहिए। राष्ट्रीय संयोजक सुधीर सिंह ने खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि लाल किले से जब प्रधानमंत्री अपना उद्बोधन देते हैं तो बोलने वाले वें अकेले होते है लेकिन उन्हें सुनने लाखों आदमी जाते हैं। उन्होंने मैं (अहम्) से ग्रसित साहित्यकारों को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि ये लोग मक्खन पर मक्खन लगाना जानते हैं।
मुख्य अतिथि कमलेश भट्ट कमल जी ने पत्रिका के प्रयास की तारीफ करते हुए कहा कि पत्रिका में गद्य और पद्य दोनों समाहित हो तो पाठकों की रुचि बढ़ सकती हैं। रचना की गुणवत्ता पर भी उन्होंने अपने शब्द रखें और पत्रिका को बेहतर बनाने के सुझाव दिए।
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रशांत करण ने कहा कि पत्रिका पाठकों तक पहुँच सकती है उसके लिए प्रचार की सबसे अधिक जरूरत है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि आज के युवा किताबें नहीं गूगल पर सब पढ़ लेते हैं तो उनके लिए पोर्टल बना कर उन तक पठनीय सामग्री पहुँचाने का कार्य किया जाए। कार्यक्रम के संचालक जिनकी मातृ भाषा कन्नड़ है लेकिन हिंदी साहित्य के प्रकाश सदैव तत्पर रहने वाले डॉ. सुनील परिट ने अंत में सबका धन्यवाद ज्ञापन किया। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की गई।